पंजाब: किसानों ने 6 महीनों में बिगाड़ दिया अंबानी का बिजनेस, हाईकोर्ट से लेकर हर जगह लगा दी गुहार
केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत पंजाब के किसानों के डर से पिछले 6 महीने से पंजाब में रिलांयंस के सभी स्टोर्स और पेट्रोल पंप अभी तक बंद हैं। किसानों ने रिलायंस जिओं के मोबाइल फोन टावर्स को निशाना बनाया था। सितंबर 2020 से काम काज ठप होेने से रिलायंस को पंजाब में करोड़ाें का नुकसान हुआ है पर समाधान कोई नहीं निकला। राहत के लिए रिलांयंस ने हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया लेिकन राहत नहीं मिली। मोबाइल फोन टावर्स को नुकसान राेके जाने को लेकर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिए थे पर बंद स्टोर्स और पेट्रोल पंपों के मसले पर कंपनी को कोई राहत नहीं मिल पाई। पंजाब में पिछले 6 महीनें में केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ खड़ा हुए आंदोलन से अंबानी और अडानी औद्योगिक घराने निशानें पर हैं। इसे आजादी के बाद किसानों का कार्पोरेट के खिलाफ पहले कृषक आंदोलन की संज्ञा दी जा रही है।
आंदोलन में शामिल 31 किसान संगठनों को पंजाब के रिलायंस पेट्रोल पंप पर कब्जा है और टेलीकॉम सेवा जियो के बहिष्कार का भी आह्वान किया है। स्टोर्स व माॅल्स के बाहर किसानों के धरने जारी हैं। वहीं मोगा में अडानी समूह को अपने साइलो का ऑपरेशन बंद करना पड़ा। किसान नेता दर्शनपाल का कहना है कि, “रिलायंस समूह के खिलाफ किसानों का गुस्सा देखते हुए रिलायंस स्टोर और रिलायंस पेट्रोल पंप के कर्मचारियों ने खुद ही इसे बंद कर दिया और आंदोलन में शामिल हो गए हैं।
भारतीय किसान यूनियन (डकौंडा) के महासचिव जगमोहन सिंह पटियाला कहते हैं कि, “हमारा मानना है कि जो नए कृषि कानून बनाए गए हैं वह कृषि क्षेत्र में रिलायंस के लिए बनाए गए हैं। यह ऐसा धंधा है जिसमें कभी नुकसान नहीं होता क्योंकि हर किसी को खाना, फल, सब्जी चाहिए। कृषि क्षेत्र का कार्पोरेटाइजेशन किए जाने के खिलाफ किसान रिलायंस और अडानी का बहिष्कार जारी रखेंगे।” जगमोहन कहते हैं, “खेती-किसानी को कार्पोरेट के हवाले करने के मोदी सरकार के कदम के खिलाफ ही हम सड़क पर उतरें हैं। हमने सरकार से मांग की थी कि इन कानूनों को पास न किया जाए, लेकिन हमारी बात नहीं सुनीगई। ऐसे में हम प्रधानमंत्री के अलावा किसी से भी बात करने को तैयार नहीं हैं।”
पंजाबी विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व डीन डा.प्यारे लाल गर्ग का कहना है कि,“किसान आंदोलन में कार्पोरेट के खिलाफ बने माहौल ने इस आंदोलन में वामपंथी आंदोलन का रंग दे दिया है। दरअसल इस आंदोलन की शुरुआत ही वाम दलों ने की जिसकी पंजाब में अच्छी मौजूदगी है।” वे कहते हैं कि, “ऊपर से देखने में यह किसान आंदलोन ही लगेगा, लेकिन अब यह एक बड़ा सांस्कृतिक आंदोलन बन गया है जिसमें हर आदमी उस कार्पोरेट के खिलाफ उठ खड़ा हुआ है जो संसाधनों का दोहन कर रहा है और बाजार पर कब्जा कर रहा है।” किसानों को लगता है कि रिलायंस और अडानी समूह का मंडियों पर कब्जा होगा।