लाला लाजपत राय की बड़ी भूमिका से इस तरह शुरू हुआ था 'पंजाब नैशनल बैंक'
123 साल पुराना पंजाब नैशनल बैंक एक बार फिर से चर्चा में है। पूर्णत: भारतीय पूंजी से शुरू होने वाला भारत का पहला बैंक इन दिनों 11360 करोड़ के फर्जीवाड़े मामले से जूझ रहा है।
जितना दिलचस्प पीएनबी फर्जीवाड़ा मामला है उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प इस बैंक के बनने की कहानी है।
यह देश का ऐसा बैंक है जो लाहौर से शुरू हुआ। 19 मई 1894 को लाहौर के अनारकली बाजार में अपने मुख्य कार्यालय के साथ इस बैंक को रजिस्टर्ड किया गया। इसकी नींव डालने वालो में से अधिकतर “स्वदेशी आंदोलन” से जुड़े हुए थे। दयाल सिंह मजीठिया, लाला हरकिशन लाल, लाला लालचंद, काली प्रोसन्ना, प्रभु दयाल, लाला ढोलना दास और लाला लाजपत राय ये वो नाम है जो शुरूआती दिनों में बैंक मैनेजमेंट के साथ सक्रिय तौर पर जुड़े हुए थे। 23 मई 1894 को पहली बोर्ड मीटिंग के बाद बैंक को व्यापार करने के लिए और सेवा शुरू करने के लिए 12 अप्रैल 1895 को खोल दिया गया।
लाला लाजपत राय और पीएनबी
महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में प्रख्यात लाला लाजपत राय एक बुद्धिमान बैंकर भी थे। आज देश भर में जिस पंजाब नेशनल बैंक की तमाम शाखाएं हमें दिखती हैं उसकी स्थापना लाला लाजपत राय के योगदान के बिना संभव नहीं थी।
लाला लाजपत राय जी इस तथ्य से काफी चिन्तित थे कि भारतीय पूंजी का उपयोग अंग्रेजी बैंकों और कंपनियों को चलाने के लिए किया जा रहा था, मगर मुनाफा अंग्रेज उठा रहे हैं। जबकि भारतीयों को संघर्ष करना पड़ता था। उन्होंने आर्य समाज के राय मूल राज के साथ मिलकर अपने एक लेख में इस भावना का इजहार किया, उन्होंने कहा कि भारतीयों का अपना एक राष्ट्रीय बैंक होना चाहिए। लाला लाजपत राय ने अपने चुनिंदा भारतीय मित्रों को एक पत्र भेजा जो रचनात्मक स्वदेशीकरण में पहला कदम था और प्रतिक्रिया भी संतोषजनक मिली। फिर क्या था 19 मई 1894 में, बैंक 1882 इंडियन कंपनी एक्ट के अधिनियम 6 के अंतर्गत रजिस्टर्ड हो गया। बैंक का प्रॉस्पेक्टस ट्रिब्यून, और उर्दू अख़बार-ए-एम और पैसा अखबार में प्रकाशित हुआ था। 23 मई 1894 को, संस्थापक दयाल सिंह मजीठिया के लाहौर स्थित निवास पर मिले। पीएएनबी के पहले अध्यक्ष दयाल सिंह मजीठिया ने इस योजना के साथ आगे बढ़ने का संकल्प लिया। उन्होनें लाहौर के प्रसिद्ध अनारकली बाजार में पोस्ट ऑफिस के सामने और राम ब्रदर के प्रसिद्ध दुकानों के पास एक घर किराया लेने का फैसला किया। 12 अप्रैल 1895 को व्यापार के लिए खोल दिया गया। बैंक की संस्कृति का सार इस पहली बैठक में स्पष्ट था। चौदह मूल शेयरधारकों और सात निदेशकों ने केवल एक मामूली शेयरों का हिस्सा लिया।
आज इस बैंक की 6,968 से अधिक शाखाएं, 9,935 से अधिक एटीएम हैं जो देश भर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।