दिमापुर मर्डर के सवाल
दिमापुर के एसपी मिरिन जामिर ने पत्रकारों को बताया कि पुलिस गुस्साई भीड़ के चंगुल से आरोपी को इसलिए नहीं छुड़ा पाई क्योंकि आरोपी को कई सौ स्कूल और कॉलेज की लड़कियों ने घेर रखा था। अगर पुलिस गोली चलाती तो नुकसान काफी होता। कई लोग हताहत और जख्मी हो जाते।
लेकिन मुस्लिम पॉलिटिक्ल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. तस्लीम रहमानी का कहना है कि इस मामले में कानून तोड़ा गया है। यह स्टेट मशीनरी की असफलता है। भीड़ तितर-बितर करने के लिए कम से कम पुलिस लाठीचार्ज कर सकती थी, आंसू गैस के गोले छोड़ सकती थी। आरोपी को मौत के मुंह से निकालने के लिए कुछ भी कर सकती थी। लेकिन पुलिस इस मामले में पूरी तरह मूकदर्शक बनी रही है। डॉ. रहमानी का यह भी कहना है कि आरोपी बांग्लाभाषी था और नॉर्थ ईस्ट में बांग्लाभाषियों के खिलाफ माहौल है। अगर कोई तहमत-कुर्ता पहनता है, दाढ़ी रखता है तो उसे आसानी से निशाना बना दिया जाता है।
राज्य अभी स्थिति नाजुक है। हाई अलर्ट है। स्थिति देखते हुए कर्फ्यू जारी है और अतिरिक्त सेना बल को तैनात कर दिया गया है।
असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने भी इस हत्याकांड की कड़ी निंदा की है। गौरतलब है कि आरोपी असम का रहने वाला था और उसपर बलात्कार का आरोप लगाने वाली महिला नागा थी। नागालैंड के मुख्यमंत्री टी.आर.जीलांग का कहना है कि वीडियों फुटेज देखने के बाद बहुत सारे युवाओं को हिरासत में लिया गया है। इस बीच मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मामले की गंभीरता से जांच कराने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
दीमापुर हत्याकांड एक नजर
- दीमापुर सेंट्रल जेल में गुरुवार की दोपहर बलात्कार के बंद अभियुक्त को करीब 10,000 लोगों की भीड़ ने जेल के लोहे के दरवाजे तोड़कर बाहर निकाला और पीट पीटकर मार डाला। वह असम के करीमगंज का रहने वाला था।
- 23 फरवरी को बलात्कार की घटना घटी थी। अभियुक्त को 24 फरवरी को हिरासत में लिया गया। उसके बाद उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया।
- अभियुक्त पर एसडी जैन कॉलेज की एक छात्रा ने बलात्कार का आरोप लगाया था।
- मृतक फरीद खान के भाई नासिर खान का कहना है कि बलात्कार का आरोप लगाने वाली महिला फरीद खान की साली थी और वह उसे दो लाख रुपये के लिए ब्लैकमेल कर रही थी।