जंतर-मंतर पर और गाढ़ा हुआ तेजस्वी और विपक्षी महागठबंधन का रंग
2017 के अगस्त के अंतिम सप्ताह में राजद ने पटना के गांधी मैदान में एक बड़ी रैली की थी। इस रैली से एक महीने पहले ही नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राजद का साथ छोड़ते हुए भाजपा के साथ सरकार बनाई थी। उस रैली में विपक्षी सियासत का जो रंग दिखा था वह करीब सालभ्ार बाद चार अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर और गाढ़ा हो गया।
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में बच्चियों के साथ दरिंदगी के विरोध में राजद के धरना और कैंडल मार्च में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, डी. राजा, शरद यादव, टीएमसी सांसद दिनेश त्रिवेदी, सपा सांसद तेजप्रताप यादव सहित कई दलों के नेता जुटे। यहां तक कि द्रमुक के सांसद भी मंच पर मौजूद थे। इस बार यह सब कुछ लालू प्रसाद यादव के बिना ही उनके बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कर दिखाया।
लालू पहले ही समर्थकों को संकेत दे चुके हैं कि उनके राजनीतिक वारिस तेजस्वी ही हैं। लेकिन, सालभर में तेजस्वी ने गांधी मैदान से जंतर-मंतर का सफर जिस तेजी से पूरा किया है और उनके साथ जिस तरह विपक्ष के तमाम दलों के नेता आए उसने उनके नेतृत्व पर गाहे-बगाहे उठने वाले सवालों पर पूर्ण विराम लगा दिया है। गांधी मैदान की तुलना में जंतर-मंतर पर राजद का मंच भले ही छोटा था और कुछेक सौ लोग ही जुटे, लेकिन इसके सियासी मायने बिहार और राष्ट्रीय राजनीति के लिहाज से काफी गहरे हैं। यही कारण था कि मंच संचालन कर रहे राजद सांसद मनोज झा की ताली नहीं बजाने और संजीदगी दिखाने की बार-बार की अपील के बावजूद कार्यकर्ता अपने नेता का जिंदाबाद करने से नहीं चूके।
तेजस्वी ने अपने संबोधन में ‘मैं वोट के लिए यह सब नहीं कर रहा, आपको जिसको वोट देना हो देना’ कहकर मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले को सियासी रंग देने के आरोपों का जवाब देने की कोशिश की। लेकिन, आगे उन्होंने साफ कर दिया कि वे जंतर-मंतर क्यों पहुंचे हैं। उन्होंने कहा, “हम अपने चाचा (नीतीश कुमार) की अंतरात्मा को जगाने आए हैं।” उन्होंने कहा कि इस मामले पर मुख्यमंत्री को चुप्पी तोड़ने में तीन महीने का समय लग गया। याद रखना है कि जब बिहार में मासूम बच्चियों के साथ ऐसी घटना हो रही थी तब तीन महीने तक चुप रहने वाला मुख्यमंत्री कौन था। तेजस्वी ने शेल्टर होम की पीड़ित बच्चियों को दिल्ली लाने और सीबीआई जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में करवाने की मांग भी की।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा-आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ पूरा देश खड़ा है। उन्होंने कहा, “देश में अजीब सा माहौल हो गया है। जो भी कमजोर, दबा हुआ है चाहे वह महिला हो, छोटा दुकानदार हो या दलित सबपर आक्रमण हो रहा है। हम लोगों को बताना चाहते हैं कि हम देश के कमजोर लोगों के साथ खड़े हैं।” उन्होंने कहा कि यदि नीतीश कुमार सच में इस घटना पर शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं तो उन्हें दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलवानी चाहिए।
वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मांग की कि मामले की तीन महीने में जांच कर दोषियों को फांसी की सजा दी जाए। उन्होंने कहा कि एक निर्भया के साथ गलत काम हुआ तो यूपीए का सिंहासन डोल गया था। सरकार में बैठे लोगों को याद रखना चाहिए कि 40 निर्भया के साथ गलत काम हुआ है तो जनता 40 बार उनके सिंहासन को उखाड़ कर फेंक सकती है।
जाहिर तौर पर शनिवार को सूरज डूबने के बाद समाप्त हुए इस कैंडल मार्च की रोशनी में 2019 से पहले विपक्षी महागठबंधन की तस्वीर कुछ और साफ हुई और राजद के जंतर से विपक्षी एकजुटता का मंतर गाढ़ा होता साफ नजर आ रहा था।