रघुराम राजन की राय, मोदी के बारे में कुछ बोलूंगा तो समस्या ही होगी
राजन सरकार के फ्लैगशिप प्रोग्राम मेक इन इंडिया और दूसरे तमाम विषयों पर अपने खुले विचारों के लिए विवादों में घिर गए। बीबीसी पर प्रसारित इंटरव्यू में जब उनसे मोदी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके विचार से उन्हें इस सवाल पर कोई जवाब नहीं देना चाहिए। वह इस पर कुछ भी कहेंगे, उससे समस्या पैदा होगी। राजन चार सितंबर को आरबीआई गवर्नर का पद छोड़कर वापस शिकागो यूनीवर्सिटी में फाइनेंस के प्रोफेसर के तौर पर चले जाएंगे।
अध्यापन में वापस लौटने के फैसले के बाद माना जा रहा था कि सार्वजनिक तौर पर उनके बयानों के कारण सरकार को कई बार परेशानी हुई। दूसरे कार्यकाल के लिए उनकी पुनर्नियुक्ति में यह भी एक बाधा के तौर पर देखी गई। भारतीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट राजन ने राजनीति में उतरने से भी इनकार किया है। राजनीति के बारे में सवाल पूछे जाने पर उन्होंने जवाब दिया कि यह एक ऐसा स्थान है, जहां उनकी पत्नी की सलाह सपाट "ना" में होती है। भारत से सर्वाधिक वांछित व्यक्तियों की सूची में स्थान पाने के बारे में पूछे जाने पर राजन ने कहा कि बेहतर होता अगर उन्हें इस सूची में उस समय स्थान मिलता जब वह 25 साल के थे।
खुद को रॉकस्टार बैंकर बताए जाने पर उन्होंने कहा कि यह अतिश्योक्ति हैं। वास्तव में वह नीरस व्यक्ति हैं। गत दिवस राजन ने एक अन्य इंटरव्यू में कहा था कि वह कार्यकाल विस्तार चाहते थे, लेकिन राजनीतिक हमले होने के कारण इस पर बातचीत आगे नहीं बढ़ पाई। इधर बैंक बोर्ड ब्यूरो के चेयरमैन और पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय ने कहा है कि आरबीआई गवर्नर का कार्यकाल पांच साल का होना चाहिए। आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव की पुस्तक 'हू मूव्ड माई इंटरेस्ट रेट्स' लांच करते हुए राय ने कहा कि गवर्नर का तीन साल का कार्यकाल बहुत छोटा है। तीन साल के कार्यकाल के बाद दो साल का विस्तार देना भी ठीक नहीं है। कार्यकाल निश्चित अवधि के लिए होना चाहिए। यह अवधि चार, पांच या छह साल हो सकती है।