Advertisement
24 October 2020

कोविड संकट: दशहरे पर होने वाले रावण दहन के आयोजनों पर लगा कोरोना ग्रहण

File Photo

असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजयादशमी पर्व पर सदियों से चली आ रही रावण दहन की परम्परा के तहत आयोजित होने वाले मेले एवं बड़े आयोजनों पर इस बार वैश्विक महामारी कोरोना का ग्रहण लग गया वहीं इस कारण रावण के पुतले बनाने वाले लोग मायूस नजर आ रहे हैं।

कोरोना के चलते राजधानी जयपुर सहित जोधपुर, कोटा तथा अन्य शहरों में इस अवसर पर आयोजित रावण दहन पर मेले एवं अन्य भव्य कार्यक्रम आयोजित नहीं किये जा सकेंगे, जिससे इस बार लोग ऊंचे-ऊंचे रावण के पुतले दहन होते नहीं देख पायेंगे और न ही इस अवसर पर आयोजित रामलीला एवं मेलों में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित विभिन्न कार्यक्रमों का लुत्फ उठा सकेंगे।

इस कारण जयपुर शहर में करीब सत्तर साल से चली आ रही रावण दहन समारोह परम्परा का निर्वाह्न नहीं किया जा सकेगा। इस बार कोरोना के कारण निषेधाज्ञा लागू होने से शहर में विद्याधर नगर स्टेडियम, आदर्श नगर, मानसरोवर सहित कई स्थानों पर इस मौके आयोजित होने वाले दशहरा मेले नहीं होंगे। इसके अलावा कोटा में आयोजित होने वाला 127वां राष्ट्रीय दशहरा मेला भी निरस्त हो गया। इसी तरह जोधपुर में होने वाला रावण का चबूतरा मैदान पर होने वाले रावण दहन का कार्यक्रम भी नहीं होगा।

Advertisement

उधर कोरोना के कारण इस बार रावण दहन के बड़े आयोजन नहीं होने से रावण के पुतले बनाने वाले लोग मायूस हो गये हैं। हालांकि जयपुर सहित विभिन्न शहरों में इस समय सैंकड़ों लोग रावण के पुतले बनाने में लगे हैं और हजारों पुतले बनाये हैं लेकिन महंगाई के कारण इस बार जहां पुतले बनाने की सामग्री महंगी हो गई वहीं कोरोना के कारण उन्हें पुतले बेचने में बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा हैै।

जयपुर में खातीपुरा पुलिया के पास रावण के पुतले बना रहे कारीगर पारस जोगी ने बताया कि इस बार उन्होंने सौ-सवा सौ पुतले बनाये लेकिन दशहरे के एक दिन पहले तक केवल 15-20 पुतले ही बिक पाये हैं। उन्होंने बताया कि इस बार रंगीन पन्नियां, पेपर, मेदा एवं बांस आदि महंगे मिले हैं जबकि पुतलों की कीमत नहीं मिल रही हैं। इस बार सबसे ऊंचा पुतला करीब 15 फुट का बनाया और उसे आधे से भी कम कीमत करीब आठ सौ में बेचेने को तैयार हैं लेकिन खरीददार नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछली बार उन्होंने छोटे बड़े 250 पुतले बनाये थे।

उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण इस बार रावण के पुतलों की मांग बहुत कम नजर आ रही है। श्री जोगी ने कहा कि पिछली बार महंगाई एवं बारिश के कारण उनको कोई लाभ नहीं हुआ और इस बार कोरोना ले बैठा। उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार के बड़े हाथ होते हैं और उसे ऐसी स्थिति में गरीब के लिए आर्थिक मदद जैसे कुछ कदम उठाने चाहिए। उन्होंने बताया कि पिछली बार पुतलों में आग लग जाने से भी काफी नुकसान उठाना पड़ा।

इसी तरह गुर्जर की थड़ी पर रावण के पुतले बेचने वाले बैजू ने कहा कि कोरोना के कारण इस बार बड़े रावण के पुतले बनाने का एक भी ऑर्डर नहीं मिला। अब छोटे पुतले बनाये गये लेकिन खरीददार कम एवं उचित दाम नहीं मिलने से इस बार भी कोई लाभ पहुंचने वाला नहीं लगता। बैजू ने भी मांग की कि सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए।

कोरोना के मद्देनजर लोगों को जागरूक करने के लिए कारीगरों ने इस बार कोरोना रावण के पुतले भी बनाएं है। कारीगर पप्पू ने बताया कि कोरोना रावण के पुतलों के दहन से कोरोना का भी अंत हो जायेगा। उन्होंने बताया कि कोरोना रावण पुतलों को लोग पसंद कर रहे है। शहर के मानसरोवर रोड़ रावण मंडी, चौमूं पुलिया, अल्का टाकिज, कावंटिया अस्पताल चौराहा, दादीका फाटक, झारखंड मंदिर मोड़, वैशाली नगर, गुर्जर की थड़ी एवं मालवीय नगर सहित कई स्थानों पर रावण एवं उसके परिजनों के पुतले तैयार किये गये हैं।

रावण के ससुराल माने जाने वाले जोधपुर के मंडोर में भी कोरोना रावण के पुतले तैयार किये गये हैं। मंडोर क्षेत्र के मगरापूंजला में रावण के पुतले बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि इस बार कोरोना के चलते रावण उनके परिजनों के पुतलों को कोरोना का स्वरुप दिया गया है ताकि रावण दहन के साथ ही कोरोना भी समाप्त हो जाये। उन्होंने बताया कि रावण, कुंभकर्ण एवं मेघनाथ के पुतलों के मुखड़े को कोरोना का स्वरुप दिया गया हैं।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Ravan Dahan, Covid crisis, Coronavirus, रावन दहन, कोविड-19, कोरोना वायरस
OUTLOOK 24 October, 2020
Advertisement