हेडली का कबूलनामा, हमले से पहले सात बार भारत आया था
हेडली ने वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये कहा कि वह लश्कर का कट्टर समर्थक था और वह कुल आठ बार भारत आया था। वह 26 नवंबर 2008 को आतंकवादी हमले से पहले सात बार और हमले के बाद एक बार भारत आया था। वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये यह पेशी सुबह सात बजे से शुरू हुई।
आतंकवादी हमलों में शामिल होने के मामले में अमेरिका में 35 वर्ष के कारावास की सजा भुगत रहे हेडली ने यह भी कहा कि उसने 2006 में अपना नाम दाऊद गिलानी से बदलकर डेविड हेडली रख लिया था ताकि वह भारत में प्रवेश कर सके और यहां कुछ कारोबार स्थापित कर सके। हेडली ने यहां अदालत से कहा, मैंने फिलाडेल्फिया में पांच फरवरी 2006 को नाम बदलने के लिए आवेदन किया था। मैंने नए नाम से पासपोर्ट लेने के लिए अपना नाम बदलकर डेविड हेडली रख लिया। मैं नया पासपोर्ट चाहता था ताकि मैं एक अमेरिकी पहचान के साथ भारत में दाखिल हो सकूं।
हेडली ने कहा, ‘जब मुझे नया पासपोर्ट मिल गया तो मैंने लश्कर ए तैयबा में अपने साथियों को यह बात बताई। इनमें से एक साथी साजिद मीर था। यही वह व्यक्ति था, जिससे मैं संपर्क में था। भारत में आने का उद्देश्य एक दफ्तर-कारोबार स्थापित करना था ताकि मैं भारत में रह सकूं। पहली यात्रा से पहले साजिद मीर ने मुझे मुंबई का एक आम वीडियो बनाने के निर्देश दिए थे।
हेडली ने यह भी कहा कि भारतीय वीजा आवेदन में उसने अपनी असल पहचान छिपाने के लिए सभी झूठी जानकारी दी। वर्ष 2006 और 2008 के बीच उसने कई बार भारत की यात्राा की, नक्शे खींचे, वीडियो फुटेज ली और हमले के लिए ताज होटल, ओबराॅय होटल और नरीमन हाउस समेत विभिन्न ठिकानों की जासूसी की। हेडली की जासूसी ने हमला करने वाले लश्कर के 10 आतंकवादियों और उनके आकाओं को अहम जानकारी उपलब्ध कराई।
फिलहाल अदालत में मुख्य साजिशकर्ता सैयद जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जंदल के खिलाफ मुकदमा चल रहा है। उसके खिलाफ इन आतंकवादी हमलों में उसकी कथित भूमिका को लेकर मामला चल रहा है। हेडली की गवाही से मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के पीछे के षड्यंत्रा के बारे में कई अहम खुलासे हो रहे हैं। इन हमलों में 166 लोगों की मौत हुई थी। अदालत ने 10 दिसंबर 2015 को हेडली को इस मामले में सरकारी गवाह बनाया था और उसे आठ फरवरी को अदालत के समक्ष पेश होेने को कहा था। उस समय हेडली ने विशेष न्यायाधीश जी ए सनप से कहा था कि अगर उसे माफ किया जाता है तो वह गवाही देने को तैयार है। न्यायाधीश सनप ने हेडली को कुछ शतोर्ं के आधार पर सरकारी गवाह बनाया था और उसे माफी दी थी।
मुंबई पुलिस ने पिछले साल आठ अक्तूबर को अदालत के समक्ष याचिका दायर कर कहा था कि हेडली के खिलाफ भी इस अदालत में इस मामले में मुंबई हमलों के अहम साजिशकर्ता अबू जंदल के साथ मुकदमा चलाया जाना चाहिए क्योंकि दोनों इस कायरतापूर्ण हमले के साजिशकर्ता और इसमें मददगार थे। मुंबई पुलिस ने याचिका में कहा था कि हेडली के खिलाफ अमेरिकी अदालत के निर्णय से यह स्पष्ट है कि वह लश्कर का सदस्य था और उसने आतंकवादी हमले में आपराधिक षड्यंत्र रचने में सक्रिय भूमिका निभाई थी। विशेष सरकारी अभियोजक उज्ज्वल निकम ने कल कहा था, भारतीय कानून के इतिहास में पहली बार कोई विदेशी आतंकवादी किसी भारतीय अदालत में पेश होगा और बयान देगा।
निकम ने कहा था कि 26-11 के हमले के पीछे के कई तथ्यों को सामने लाने के लिए हेडली की गवाही महत्वपूर्ण है। इस बीच मुंबई के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि हेडली आपराधिक षड्यंत्रा का व्यापक पहलू बता सकता है और हमलों में शामिल सभी लोगों की जानकारी दे सकता है। अधिकारी ने कहा, वह मामले में पाकिस्तान की भूमिका को भी उजागर कर सकता है।