झारखंड में लालू की पार्टी केक का बड़ा टुकड़ा चाहती है, राजद कर रहा है दबाव की राजनीति
झारखंड में सिर्फ एक विधायक के बूते हेमंत सरकार में शामिल राजद अपने कार्यकर्ताओं के लिए भी कुछ चाहता है। इसके लिए वह दबाव की राजनीति कर रहा है। एकमात्र विधायक सत्यानंद भोक्ता हेमंत सरकार में मंत्री हैं। ऐसे में झामुमो ने समान विचारधारा को देखते हुए राजद को सम्मान दिया है। इसके बावजूद कुछ और की तलाश में राजद दबाव बना रहा है। यह बात अलग है कि बीते बिहार विधानसभा चुनाव में मनमाफिक संख्या में सीटें न मिलने से राजद गठबंधन से अलग होकर जेएमएम ने चुनाव लड़ा था।
हेमंत सरकार के गठन को एक साल से अधिक हो गए हैं। जिन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिली या जो वरिष्ठ नेता चुनाव नहीं जीत सके या वरिष्ठ होने के बावजूद लड़ने का मौका नहीं मिला उन्हें सम्मान देने और सत्ता के पावर का एहसास कराने के लिए बीस सूत्री व निगरानी समितियों व बोर्ड निगमों में एडजस्ट किए जाने की तैयारी चल रही है। बीस सूत्री व निगरानी समितियों के बाद बोर्ड निगम की कुर्सी की बारी आएगी। बीस सूत्री व निगरानी समितियों के लिए सीट शेयरिंग का एक ठोस फार्मूला यह है कि बीते विधानसभा चुनाव में कौन पार्टी कितने सीट पर लड़ी थी। इसमें ठोस हिस्सेदारी के लिए राजद मधुपुर उप चुनाव पर भी दावेदारी कर रहा था।
दलील यह कि दो विधानसभा उप चुनाव में महागठबंधन की दोनों पार्टियां लड़ चुकी हैं। ऐसे में मधुपुर पर राजद का हक बनता है। हालांकि इसका ठोस आधार नहीं था। हेमंत सरकार में मंत्री झामुमो विधायक हाजी हुसैन अंसारी की मौत से यह सीट खाली हुई है। राजद का दबाव खत्म करने के लिए हेमंत सोरेन ने चुनाव होने के पहले ही हाजी हुसैन अंसारी के बड़े पुत्र हफीजुल को मंत्री बना दिया। इसके बावजूद राजद दावेदारी कर दबाव बना रहा है। 2019 में झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विरोध के बावजूद राजद ने दबाव देकर राजद को सात सीटें दी थीं। राजद को डर है कि उसे पूरा हक न मिले।
जानकार बताते हैं कि पूरे दबाव के पीछे राजद का निशाना बीस सूत्री, निगरानी समितियों के साथ बोर्ड निगमों पर है। राजद की प्रदेश कार्यकारिणी की रविवार को हुई बैठक में इसे जोरदार तरीके से उठाया गया। यह भी कहा गया कि महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार हो। बैठक में राजद के झारखंड प्रभारी और लालू प्रसाद के करीबी रहे जयप्रकाश नारायण यादव ने संगठन विस्तार और आने वाले विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार होने का भी निर्देश दिया। अब समय बताएगा कि हेमंत राजद को कितना संतुष्ट कर पाते हैं।