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28 January 2016

रोहित आत्महत्याः दलित - गैर दलित के बीच मुद्दे को फंसाने का दांव

भाषा सिंह

हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (एचसीयू) के हर कोने पर रोहित का चेहरा या नाम चस्पां है। आत्महत्या करने वाले दलित छात्र रोहित के साथ निष्काषित हुए चार साथियों के चेहरों पर थकान तारी है लेकिन हिम्मत में कोई सेंध नहीं लगी है। उन्हें अफसोस सिर्फ और सिर्फ एक बात का है कि देश भर से जो समर्थन का सैलाब उमड़ रहा है, वह रोहित के जाने के बाद आना शुरू हुआ।

rohith friend vijay and sunkanna-by bhasha

उधर केंद्र सरकार के पास जो रिपोर्ट पहुंची है, वह रोहित को गैर-दलित साबित करने वाली है। इसे लेकर माहौल और गरम और उग्र होने की आशंका है क्योंकि पिछले कुछ समय से भाजपा, विश्वविद्यालय प्रशासन और केंद्र सरकार रोहित को गैर-दलित साबित करने पर तुला हुआ था। अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के पास पहुंची यह रिपोर्ट रोहित के गैर-दलित होने, खासतौर से उसकी मां को पालन करने वाली महिला तथा रोहित के पिता की जाति पर आधारित है। ऐसी कवायद इसलिए की जा रही है ताकि अनुसूचित जाति उत्पीड़न निरोधक कानून के शिकंजे से अखिल भारतीय विद्द्यार्थी परिषद (एवीबीपी) के नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों को बाहर किया जा सके। अभी रोहित की आत्महत्या मामला दलित उत्पीड़न और भेदभाव का केस बनता है। दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में छात्र संगठनों ने रोहित वेमुला की आत्महत्या में इंसाफ के लिए आंदोलनरत है। वे इस मामले में केंद्र सरकार और हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन के दलित विरोधी रवैये को लेकर लामबंदी कर रहे हैं।

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इस समर्थन से पिछले 24-25 दिनों से आंदोलन कर रहे अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन के छात्र आशांवित हैं। आंध्र प्रदेश के तटीय इलाके प्रकाशम जिले से आने वाले विजय कुमार ने बहुत ही धीमे स्वर में बताया कि देश भर में इतना हंगामा होने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन, तेलंगाना सरकार और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से कुछ भी सकारात्मक पहल नहीं हुई है। उनका रवैया अभी भी हमारे खिलाफ ही है और वे मामले को सुलझाना नहीं चाहते हैं। खेतिहर मजदूर माता-पिता की संतान विजय राजनीतिक शास्त्र में पीएचडी कर रहे हैं और उनका सपना आईएएस बनना है। हालांकि अब विजय भी हताशा में हैं और उन्हें लग रहा है कि केंद्र में भाजपा की सरकार के रहते उनके लिए इस करियर को पाना बेहद मुश्किल है।

रोहित के दूसरे साथी सुनकाना ने बताया कि रोहित बेहद मजबूत व्यक्तित्व का मालिक था। उसने बचपन से बहुत अधिक शोषण, उत्पीड़न झेला था, इसलिए उसे आसानी से तोड़ा नहीं जा सकता था। चूंकि रोहित बेहद गरीब घर का था और उसका सपना एक बेहतर जीवन का था, इसलिए जब उसे लगा कि वह लड़ाई नहीं जीत पाएगा, तभी उसने हथियार डाले। यह एक छोटी सी लड़ाई थी, जिसे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विश्वविद्यालय प्रशासन, भाजपा और केंद्र सरकार ने इतना बड़ा बना दिया। हम वैचारिक लड़ाई लड़ रहे थे, लेकिन सब हमें ही खत्म करने पर तुल गए थे। आज भी हम सब पर बहुत दबाव है, बहुत मुश्किल लड़ाई है। इतने लोग जुटे, लेकिन हमारा सबसे होनहार साथी चला गया।

आंदोलनकर्ताओं के सामने एक नई चुनौती के तौर पर रोहित का गैर-दलित होने का मामला सामने आया है। फिल्मनिर्माता नकुल भारद्वाज का कहना है कि ऐसा करके सारे आंदोलन को भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन यह उल्टी ही पड़ेगी। सबसे बड़ी बात है कि रोहित वेमुला नामक एक छात्र को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया गया। रोहित को गैर-दलित बनाने की कोशिशों को लेकर छात्रों में गहरा आक्रोश है। रोहित की मां राधिका ने खुलकर बताया कि वह दलित हैं और माला समुदाय से हैं। रोहित के पिता जरूरी गैर-दलित है, लेकिन मां अपने पति से बहुत पहले अलग हो गई थीं और अकेले ही बच्चों का पालन किया। दलित जाति के सर्टिफिकेट के साथ ही रोहित ने पढ़ाई की। पहल संगठन के पथिक का कहना है कि सरकार और प्रशासन की ये सारी करतूत रोहित की आत्महत्या से मजाक है। रोहित का जाति प्रमाणपत्र तक जारी करने के बावजूद, इंसाफ करने के बजाय ये सारी तिकड़ने करके दलितों का अपमान करने को उतारू है। 

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TAGS: rohith vemula, suicide, hyderabad central university, dalit, attrocity, ambedkar student association, ajit doval, report
OUTLOOK 28 January, 2016
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