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03 March 2015

नहीं होगा सलमान खान का लाइसेंस जब्त

फोटो-गूगल

अदालत ने कहा कि मुकदमे के अंतिम समय में किसी आरोपी को कोई दस्तावेज प्रस्तुत करने को बाध्य नहीं किया जा सकता। न्यायाधीश डी.डब्ल्यू देशपांडे ने आदेश के कार्यात्मक हिस्से में मौखिक रूप से कहा, आवेदन भारतीय साक्ष्य कानून के तहत स्वीकार करने योग्य नहीं है, क्योंकि अदालत आरोपी को ड्राइविंग लाइसेंस प्रस्तुत करने को बाध्य नहीं कर सकती।न्यायाधीश ने कहा कि यदि आरोपी चाहे तो उचित चरण में लाइसेंस प्रस्तुत कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस चरण में, गवाही लग-भग पूरी हो गई है और इसलिए अदालत दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश नहीं दे सकती।

अदालत ने 27 फरवरी को दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थीं और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। विशेष लोक अभियोजक प्रदीप घरात ने तर्क दिया कि जब खान की कार ने 28 सितंबर 2002 को बांद्रा उपनगर में पटरी पर सो रहे लोगों को रौंदा था तो उस समय अभिनेता के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। इस हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और चार अन्य घायल हुए थे। अभियोजन पक्ष ने कहा कि क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के रिकॉर्ड के अनुसार सलमान ने ड्राइविंग लाइसेंस 2004 में प्राप्त किया। अभिनेता इस बात से इनकार कर चुके हैं कि घटना के समय कार वह चला रहे थे।

उन्होंने आरटीओ के रिकॉर्ड पर भी सवालिया निशान लगाए। उनके वकील श्रीकांत शिवाडे ने अभियोजन के आवेदन का विरोध किया और कहा कि यह स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है। सलमान के वकील ने कहा कि अभियोजन पक्ष का आवेदन शोषण के खिलाफ संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार का उल्लंघन है, क्योंकि उसने आरोपी से उसे फंसाने वाले दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा है। उन्होंने दलील दी कि अभियोजन पक्ष को सलमान खान से लाइसेंस मांगे बिना अपने मामले को साबित करना चाहिए कि अभिनेता के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था।

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अदालत में पूर्व में एक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी पेश हुए थे। उन्होंने कहा था कि 2002 में जिस समय हादसा हुआ उस समय सलमान के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। उन्होंने यह दिखाने के लिए कार्यालय का रिकॉर्ड भी पेश किया था कि सलमान ने दुर्घटना के दो साल बाद 2004 में लाइसेंस हासिल किया था। इसके पूर्व मुकदमा मजिस्टेट अदालत में चला था, लेकिन इसमें गैर इरादतन हत्या के आरोप जुड़ने के बाद मामला सत्र अदालत को स्थानांतरित कर दिया गया था और नए सिरे से मुकदमा चल रहा है।

इस बीच, अदालत ने अभियोजन द्वारा दायर एक अन्य आवेदन पर सलमान के वकील की दलीलों पर सुनवाई सात मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है। अभियोजन के इस आवेदन में उन दो महत्वपूर्ण गवाहों की गवाही पर भरोसा करने का आग्रह किया गया है, जिनके बयान मजिस्ट्रेट ने दर्ज किए थे। क्योंकि सत्र अदालत में मुकदमा नए सिरे से चल रहा है, ऐसे में अभियोजन दो गवाहों- डॉ. सनप और रविंद्र पाटिल की गवाही को रिकॉर्ड में लाना चाहता है। साक्ष्य में मजिस्ट्रेट के समक्ष उनकी गवाही और बचाव पक्ष द्वारा की गई जिरह शामिल है। डॉ. सनप ने हादसे में मरे व्यक्ति का पोस्टमार्टम किया था। सेवानिवृत्ति के बाद वह अमेरिका में बस चुके हैं और अभियोजन की ओर से अदालत में गवाही देने के लिए उपलब्ध नहीं हैं। सलमान के पुलिस अंगरक्षक रविंद्र पाटिल ने हादसे के तुरंत बाद इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी।

मुकदमे के दौरान पाटिल का निधन हो चुका है। उन्होंने पूर्व में मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दिया था कि उन्होंने सलमान को आगाह किया था कि तेज रफ्तार या लापरवाहीपूर्ण ढंग से गाड़ी नहीं चलाएं, अन्यथा हादसा हो सकता है। पाटिल ने यह भी आरोप लगाया था कि सलमान खान ने शराब पी रखी थी। अभिनेता ने इस आरोप को नकारा था। सलमान के वकील शिवाडे ने दलील दी कि यदि अदालत नए सिरे से चल रहे मुकदमे में पूर्व में मजिस्ट्रेट द्वारा रिकॉर्ड किए गए पाटिल के बयान को संग्यान में लेती है तो यह उनके मुवक्किल के साथ पूर्वाग्रह होगा।

हालांकि, अभियोजक प्रदीप घरात ने दलील दी कि यदि अदालत पाटिल के बयान को रिकॉर्ड में लेती है तो सलमान खान के प्रति यह कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा। घरात ने कहा कि आरोपी पाटिल की गवाही के संदर्भ में अंतिम दलील के समय बचाव रख सकता है और जांच अधिकारी से जिरह कर सकता है। अभियोजक ने अपनी दलील के समर्थन में कुछ अदालती फैसलों का जिक्र किया, जिससे कि पाटिल और डॉ. सनप के बयान रिकॉर्ड में लिए जा सकें।

अभिनेता की कार ने 28 सितंबर 2002 को बांद्रा उपनगर में सड़क किनारे पटरी पर सो रहे लोगों को रौंद दिया था। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और चार अन्य घायल हो गए थे। एक दशक से अधिक समय से चल रहे इस मुकदमे में तब मोड़ आ गया था, जब एक सिटी मजिस्ट्रेट ने 17 गवाहों की गवाही के बाद यह कहते हुए मामला सत्र अदालत को भेज दिया था कि अभिनेता के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाया गया है। गैर इरादतन हत्या के मामले में 10 साल तक की सजा हो सकती है, जबकि लापरवाही से वाहन चलाने से मौत के पूर्व के आरोप में दो साल तक की सजा का प्रावधान है।

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TAGS: सलमान खान, हिट एंड रन मामला, न्यायाधीश डी.डब्ल्यू देशपांडे, ड्राइविंग लाइसेंस, अभियोजक प्रदीप घरात
OUTLOOK 03 March, 2015
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