हत्या के आरोपी दूसरे इतालवी मरीन को भी सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एक अन्य मरीन सालवतोरे गिरोने के मामले में लगाई गई सभी शर्तें लातोरे पर भी लागू होंगी। न्यायमूर्ति ए आर दवे की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार पर एक और शर्त जोड़ी कि वह न्यायालय को हर तीन महीने पर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ न्यायाधिकरण में मामले की प्रगति के बारे में रिपार्ट दे। न्यायाधिकरण को यह फैसला करना है कि मामले में सुनवाई का अधिकार किस देश के पास है। पीठ में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति अमिताभ राय भी शामिल थे। पीठ ने केंद्र द्वारा दिए गए एक लिखित हलफनामे के बाद यह आदेश दिया। हलफनामे में कहा गया है कि उसे लातोरे की याचिका पर कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते लातोरे पर भी वही शर्तें लगाई जाएं जो दूसरे मरीन पर लगाई गई हैं। हालांकि संक्षिप्त सुनवाई के दौरान केरल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील के एन बालगोपाल ने याचिका पर कुछ आपत्ति जताई।
पीड़ित के परिवार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राणा मुखर्जी ने कहा कि इस बात की संभावना नहीं है कि न्यायाधिकरण द्वारा मामले की सुनवाई 2018 या 2020 तक पूरी की जाएगी। उन्होंने दावा किया कि योजना मामले को लंबा खींचने की है। शीर्ष अदालत का यह निर्देश इटली की उस नई याचिका पर आया जिसमें लातोरे की जमानत शर्तों में सुधार करने का अनुरोध किया गया जिससे न्याय अधिकार क्षेत्र पर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ न्यायाधिकरण का फैसला आने तक वह अपने देश में रह सके। न्यायालय ने आठ सितंबर को लातोरे की ओर से इटली की याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया था। लातोरे ने इस आधार पर तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया था कि अदालत द्वारा पहले दिया गया एक आदेश इस साल 30 सितंबर तक वैध है। गिरोने की जमानत शर्तों में 26 मई को ढील देते हुए उच्चतम न्यायालय ने मरीन को न्याय क्षेत्र मुद्दे पर फैसला होने तक वापस अपने देश जाने की अनुमति दे दी थी।