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25 March 2019

VVPATऔर सैंपल सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब, विपक्ष की मांग 50% वोट का हो मिलान

File Photo

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) की 50 फीसदी मिलान को लेकर विपक्ष की ओर से दाखिल याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से 28 मार्च तक जवाब मांगा है। विपक्षी दलों की मांग है कि एक से अधिक वीवीपैट के सैंपल सर्वे लिए जाएं।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि हम चाहते हैं कि मशीन और पर्ची की मैचिंग की संख्या बढ़ाई जाए, एक से दो बेहतर होते हैं। कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग से 28 मार्च तक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है। मामले की अगली सुनवाई 1 अप्रैल को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा है कि वह वर्तमान में एक विधानसभा क्षेत्र से एक वीवीपैट सैंपल सर्वे लेने की व्यवस्था पर उसकी संतुष्टि का कारण बताए। चुनावों में वीवीपीएटी के इस्तेमाल पर आंध्र प्रदेश के सीएम एन चंद्रबाबू नायडू सहित 21 विपक्षी नेताओं की याचिका पर 1 अप्रैल को सुनवाई करेगा।

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ये है विपक्षी दलों की मांग

21 विपक्षी दलों की मांग है कि लोकसभा चुनावों के नतीजे से पहले कम से कम 50% वोटों का मिलान वीवीपैट की पर्चियों से किया जाए। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की मांग को लेकर गुरुवार को 10 से ज्यादा विपक्षी दलों के नेता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एसपी, बीएसपी, आम आदमी पार्टी और टीडीपी समते 21 विपक्षी दलों ने एक याचिका दायर की थी।

याचिकाकर्ताओं ये नाम है शामिल 

याचिकाकर्ताओं में एनसीपी के शरद पवार, कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, तृणमूल के डेरेक ओ. ब्रायन, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, सपा के अखिलेश यादव, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, द्रमुक के एमके स्टालिन, सीपीएम के टीके रंगराजन, राजद के मनोज कुमार झा, एनसी के फारुख अब्दुल्ला, सीपीआई के एसएस रेड्डी, जेडीएस के दानिश अली, रालोद के अजीत सिंह, एआईडीयूएफ के मोहम्मद बदरुद्दीन अजमल, हम के जीतन राम मांझी, प्रो. अशोक कुमार सिंह, तेदेपा, 'आप' आदि शामिल हैं।

पहले भी उठाए थे ईवीएम पर सवाल

विपक्षी पार्टियों का कहना है कि उन्हें ईवीएम की प्रमाणिकता पर संदेह है, जो चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी संशय पैदा करता है। ऐसे में आयोग यह अनिवार्य करे कि 50% ईवीएम मतों का मिलान वीवीपैट पर्चियों से किया जाए। 21 विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने चुनाव आयोग को भी ज्ञापन सौंपा। नवंबर-दिसंबर में पांच विधानसभाओं में हुए चुनाव के दौरान भी इन पार्टियों के द्वारा ईवीएम को लेकर सवाल उठाए गए थे।

5 फरवरी को इन दलों ने चुनाव आयोग से की थी यह मांग

इससे पहले इन दलों ने गत माह 5 फरवरी को चुनाव आयोग से यह मांग की थी, लेकिन आयोग ने गत सप्ताह चुनावों की घोषणा करते हुए वीवीपैट मिलान का प्रतिशत बढ़ाने से आदेश देने से इनकार कर दिया था। आयोग ने कहा था कि इस बारे में भारतीय सांख्यिकी संस्थान से राय ली जा रही है और उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।

आयोग ने यह भी कहा था कि इस संबंध में मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। चुनावों में फिलहाल एक विधानसभा सीट पर एक ईवीएम के मतों का वीवीपैट पर्चियों से मिलान किया जाता है।

 

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TAGS: SC, EC, file reply, March 28, increasing, VVPAT sample survey, per assembly segment
OUTLOOK 25 March, 2019
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