आसाराम को अंतरिम जमानत देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, मेडिकल बोर्ड गठित किया
उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने आसाराम की अंतरिम जमानत याचिका को अस्वीकार करते हुए एम्स को एक मेडिकल बोर्ड गठित कर नियमित जमानत याचिका पर विचार से पहले उनकी सेवास्थ्य स्थिति पर रिपोर्ट देने को कहा है। न्यायमूर्ति एमबी लोकुड़ और न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल की पीठ ने कहा कि एम्स का तीन सदस्यीय डॉक्टर पैनल 75 वर्षीय आसाराम की स्थिति पता करके 10 दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। पीठ ने कहा, हम याचिकाकर्ता को राहत देने के पक्ष में नहीं हैं। हम एम्स के निदेशक को याचिकाकर्ता की स्वास्थ्य स्थिति की जांच के लिए तीन डॉॉक्टरों का पैनल गठित करने और दस दिन में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश देते हैं। आसाराम को 31 अगस्त 2013 को जोधपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था और तब से वह जेल में बंद हैं।
इससे पहले सुनवाई के दौरान आसाराम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देश पर गठित मेडिकल बोर्ड की राय है कि उनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ रही है। रामचंद्रन ने उन्हें एक या दो महीने की अंतरिम जमानत मंजूर करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, डाक्टरों के अनुसार, उन्हें केरल जाना है जहां उन्हें पंचकर्म (आयुर्वेदिक शुद्धिकरण एवं इलाज) कराना है क्योंकि इस तरह के इलाज के लिए वहां जलवायु सही है। अंतरिम जमानत नामंजूर करने के राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के संदर्भ में रामचंद्रन ने दलील दी कि अदालत ने आसाराम को राहत नहीं देकर गलती की है। इस पर पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि एक अन्य मेडिकल जांच होनी चाहिए। पीठ ने कहा, एम्स याचिकाकर्ता की जांच करके अपनी रिपोर्ट देगा। गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने नौ अगस्त को बलात्कार मामले में आसाराम की जमानत याचिका खारिज की थी।