Advertisement
25 February 2019

अदालत की निगरानी में नहीं होगी पुलवामा हमले की जांच, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

File Photo

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले के पीछे बड़े षड्यंत्र की जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका सोमवार को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत ढांडा ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका में पुलवामा और उरी हमलों की सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुवाई में जांच आयोग के गठन की मांग की है। हालांकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दखल देने से इनकार कर दिया है यानी कोर्ट अब इन हमलों की जांच या निगरानी नहीं करेगा।

ढांडा ने याचिका में सुरक्षा चूक और स्थानीय लोगों की भूमिका जैसे पहलुओं की जांच की मांग की थी और साथ ही हुर्रियत नेताओं पर सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग की थी। इस याचिका में 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के पीछे कथित बड़ी साजिश की जांच की मांग की गई थी।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ वकील विनीत धांडा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। धांडा ने हमले के पीछे के व्यापक षड्यंत्र की जांच का अनुरोध किया था। हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए हैं। जनहित याचिका में कहा गया है कि हमले में करीब 370 किलोग्राम आरडीएक्स का उपयोग हुआ था और इसकी विस्तृत जांच किए जाने की जरूरत है।

Advertisement

जानें क्या कहा गया था याचिका में

वकील विनीत धांडा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि सेना, खुफिया विभाग और स्थानीय प्रशासन की मदद से उरी और पुलवामा की घटना के पीछे और पाकिस्तानी आंतकियों की मदद करने वाले भारतीय नागरिकों की भूमिका की जांच हो। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार कोर्ट में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे जो सक्रिय रूप से राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं।

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और उसके नेताओं से संबंधित सभी खातों को सीज किया जाए। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं को दी गई सुरक्षा को तत्काल प्रभाव से वापस लें। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और अन्य राष्ट्र-विरोधी दलों को लोकसभा चुनाव और अन्य चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करें।

वकील विनीत ढांडा द्वारा दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर देश के खिलाफ राष्ट्रविरोधी,  सशस्त्र बल -विरोधी, शहीदों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी को अपराध घोषित किया जाए। पुलवामा हमले के शहीदों के परिवारों के लिए भेजे जा रहे धन के बारे में जानकारी दी जाए ताकि पैसा शहीदों के परिवारों तक ही पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट से कहा गया है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को उन सभी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के आदेश दिए जाएं जिनके खिलाफ ठोस सबूत उपलब्ध हैं। जम्मू और कश्मीर राज्य में उन स्थानीय लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाए जो किसी भी रूप में सशस्त्र बलों पर हमला करते हैं।

इसके अलावा उन सभी धार्मिक और राजनीतिक संगठनों पर प्रतिबंध लगाएं और उन सभी के खिलाफ कार्रवाई करें जो जम्मू और कश्मीर राज्य में भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। भारत और जम्मू-कश्मीर राज्य के स्थानीय युवाओं के साथ राज्य भर में विभिन्न कल्याणकारी और बातचीत कार्यक्रमों के माध्यम से सीधे संवाद में शामिल होने के लिए निर्देश दिए जाएं। पाकिस्तान के साथ सभी सांस्कृतिक संबंधों पर प्रतिबंध लगाने और उनके कलाकारों, अभिनेताओं, संगीतकारों और खिलाड़ियों को भारत में प्रवेश करने और प्रदर्शन करने से प्रतिबंधित करने की मांग की गई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले से किनारा कर लिया है और दखल देने से इनकार कर दिया है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: SC dismisses, PIL, seeking probe, into alleged, conspiracy, behind Pulwama terror attack
OUTLOOK 25 February, 2019
Advertisement