बीदर स्कूल के नाटक पर राजद्रोह के केस में जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका सुनने से इन्कार कर दिया है जिसमें कर्नाटक के बीदर के एक स्कूल, एक टीचर और एक विधवा माता के खिलाफ राजद्रोह की दर्ज की गई एफआइआर को रद करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की आलोचना करने वाले नाटक का मंचन करने के लिए एफआइआर दर्ज की गई थी।
गणतंत्र दिवस पर किया था मंचन
स्कूल के प्रिंसिपल और नाटक में हिस्सा लेने वाले एक छात्र की मां के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है। छात्रों ने इस साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर इस नाटक का मंचन किया था। जस्टिस ए. एम. खानविलकर की अगुआई वाली दो जजों की पीठ ने कहा कि हम इस याचिका को खारिज करते हैं। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना ने अपने वकील उत्सव बैंस के जरिये दायर की थी। याचिका में सरकारों द्वारा राजद्रोह कानून का दुरुपयोग किए जाने से रोकने के लिए व्यवस्था देने की सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई थी।
कोर्ट ने कहा- कोई पक्ष आएगा तो सुनेंगे
याचिकाकर्ता की ओर से बैंस ने कहा कि राजद्रोह के कानून के मामले में गाइडलाइन जारी की जानी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि इससे संबंधित कानूनों को दुरुपयोग किया जा रहा है। जस्टिस खानविलकर ने सवाल उठाया कि क्या आप इस केस में एक पक्ष हैं। इस मामले में कोई पक्ष आता है तो अदालत उसे सुनेगी।
सीएए, एनआरसी की आलोचना की थी
संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर जनहित याचिका में मांग की गई कि स्कूल प्रबंधन, अध्यापक और एक छात्र की विधवा मां के खिलाफ पंजीकृत एफआइआर रद करने के लिए प्रतिवादी केंद्र सरकार और कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया जाए। सीएए, एनआरसी और एनपीआर की आलोचना करने वाले नाटक का मंचन किए जाने के लिए एफआइआर दर्ज की गई थी।
पुलिस पर वर्दी में छात्रों से पूछताछ का आरोप
याचिका में कहा गया कि स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा है कि उन्हें नहीं पता कि स्कूल के खिलाफ एफआइआर किस वजह से दर्ज की गई है। याचिकाकर्ता ने प्रिंसिपल के हवाले से बताया कि पुलिस ने छात्रों से भी पूछताछ की। पुलिस द्वारा छात्रों से पूछताछ की वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे। इसके काफी आलोचना की गई। प्रिंसिपल के अनुसार पुलिस ने एक बार तो वर्दी में ही छात्रों से पूछताछ की। उस समय बाल कल्याण अधिकारी भी मौजूद नहीं था। हालांकि पुलिस ने इस आरोप से इन्कार किया है।