अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, फारूक अब्दुल्ला मामले में केंद्र को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने, राष्ट्रपति शासन की वैधता और राज्य में लगाए गए प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान फारुक अब्दुल्ला को हिरासत लेने के मामले में शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 30 सितंबर तक जवाब देने को कहा है। वहीं कश्मीर के हालात पर केंद्र को दो सप्ताह में डिटेल रिपोर्ट देने का भी निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। शीर्ष अदालत ने केंद्र से कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सभी प्रयास करने को कहा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद को जम्मू, अनंतनाग, बारामूला और श्रीनगर जिलों का दौरा करने की अनुमति दी है। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि यदि आवश्यकता हुई तो वे खुद जम्मू-कश्मीर का दौरा कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में सबसे पहले वाइको की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अभी वहां पर क्या हालात हैं? आपने अभी तक कोई रिकॉर्ड सामने नहीं रखे हैं।
वाइको ने कहा कि वह पिछले चार दशकों से अब्दुल्ला के करीबी दोस्त हैं। उन्होंने कहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता के संवैधानिक अधिकारों को "कानून के किसी भी अधिकार के बिना अवैध हिरासत" के कारण वंचित किया गया है।
वाइको के वकील ने कहा कि गृह मंत्रालय कह रहा है कि किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है, एनएसए कह रहे हैं कि कुछ मामलों में हिरासत में लिया गया है। इस बीच फारुक अब्दुल्ला को हिरासत लेने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस दिया है, 30 सितंबर तक जवाब देने को कहा गया है।
बता दें कि राज्यसभा सदस्य और एमडीएमके के संस्थापक वाइको ने याचिका दाखिल की थी जिसमें उन्होंने केंद्र और जम्मू-कश्मीर को यह निर्देश देने के लिए कहा था कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को अदालत के सामने लाया जाए, जिन्हें कथित रूप से नजरबंद करके रखा गया है।
येचुरी की याचिका पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में सीपीआई नेता सीताराम येचुरी की भी याचिका पर सुनवाई हुई। सीपीएम नेता एमवी तारीगामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कश्मीर यात्रा के लिए स्वतंत्र हैं। कोर्ट ने कहा कि इस याचिका पर अलग से कोई आदेश नहीं दिया जाएगा।
मीडिया की आजादी पर सुनवाई
कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्र से कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सभी प्रयास करने को कहा। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और एस ए बोबडे और एस ए नाजीर की पीठ ने कहा कि तथाकथित बंद घाटी में ही है, तो इसे जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट द्वारा निपटाया जा सकता है। पीठ से केंद्र ने कहा कि सभी कश्मीर स्थित समाचारपत्र चल रहे हैं और सरकार सभी प्रकार की सहायता दे रही है। केन्द्र ने यह भी कहा कि राज्य में एफएम नेटवर्क के साथ दूरदर्शन और अन्य निजी जैसे टीवी चैनल काम कर रहे हैं।
पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से हलफनामा दाखिल कर उठाए गए इन कदमों का ब्योरा मांगा। अटॉर्नी जनरल ने इस दौरान अदालत से दो सप्ताह का समय मांगा। बता दें कि कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन ने याचिका दाखिल की थी जिसमें उन्होंने कश्मीर में मीडिया पर लगाए प्रतिबंधों को हटाने की बात कही थी।
गुलाम नबी को मिली कश्मीर जाने की अनुमति
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई और न्यायाधीश एस ए बोबडे और एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद को जम्मू, अनंतनाग, बारामूला और श्रीनगर जिलों का दौरा करने की अनुमति दी है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने याचिका दायर कर अपने परिवार वालों और संबंधियों से मिलने की अनुमति मांगी थी।
गुलाम नबी आजाद ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समार्त करने के बाद दो बार राज्य में जाने की कोशिश की थी, लेकिन प्रशासन ने उन्हें हवाई अड्डे से वापस भेज दिया था।
जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से आरोपों पर रिपोर्ट मांगी है। दो बाल अधिकार कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने अदालत में आरोप लगाया कि लोगों को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना मुश्किल हो रहा है।
दरअसल, बाल अधिकार कार्यकर्ता इनाक्षी गांगुली और प्रोफेसर शांता सिन्हा ने भी विशेष दर्जा खत्म करने के बाद जम्मू-कश्मीर में कथित रूप से बच्चों को गैरकानूनी रूप से कैद करने के खिलाफ एक याचिका दायर की है।
जेकेपीसी की याचिका पर विचार करने के लिए सहमत
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (जेकेपीसी) द्वारा राज्य में लगाए गए राष्ट्रपति शासन को चुनौती देने और धारा 370 के प्रावधानों को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने पर सहमति जताई। हालांकि पीठ ने अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर अन्य ताजा याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया।
पीठ ने कहा कि जो लोग इस मुद्दे पर बहस करना चाहते हैं वे इम्पीडमेंट एप्लिकेशन दायर कर सकते हैं। पीठ ने कहा, "हम विधायी कार्रवाई की वैधता की जांच कर रहे हैं।"