श्रीकृष्ण जन्माष्टमी स्पेशल- जानें कैसे और क्यों मनाई जाती है, गोकुल नगरी का क्या है महत्व
इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार 30 अगस्त यानी सोमवार के दिन मनाया जा रहा है। गोकुल नगरी, मथुरा, वृंदावन में इसके अलग ही रंग देखने को मिलते हैं। पौराणिक धर्म ग्रंथों की मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु ने धरती को पापियों से मुक्त करने हेतु कृष्ण अवतार धारण किया था। हिंदू ग्रंथों के मुताबिक श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तीथि को रात्रि को रोहिणी नक्षत्र में देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में हुआ था।
जन्माष्टमी को कई तरह से देशभर भर में मनाया जाता है। कई जगहों पर दही हांडी फोड़ने की भी परंपरा है। मथुरा की जन्माष्टमी देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। पूजा के दौरान भगवान कृष्ण को हल्दी, दही, घी-तेल के दीये, मक्खन, कपूर, केसर आदि अर्पण कर पूजा अर्चना की जाती है।
इस दिन रात्रि के बारह बजे भगवान कृष्ण की आरती और पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि उनका जन्म आधी रात को हुआ था। इस व्रत को करने वाले सामान्यत: अगले दिन खाना खाते हैं तब तक रात्रि में फल और मीठा भोजन खाते हैं।
इस दिन झूला झुलने की भी मान्यता है। गांव शहरों में पेड़ों से झूले को लटकाकर लोग झूला झुलते हैं और भगवान के कई भक्ति गाने गाते हैं।