Advertisement
15 May 2021

कौन है अंशु दीक्षित जिसने जेल में मुख्तार अंसारी के करीबी को गोलियों से भून डाला, बार-बार होता रहा है फरार

file photo

आपने बॉलीवुड की एक फिल्म में डायलॉग सुना होगा 'डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है' । कुछ इस तरह की तर्ज पर अंशु दीक्षित ने भी कई घटनाओं को अंजाम दिया था। अंशु दीक्षित उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जेल में हुई फायरिंग में मारे गए बदमाशों में से एक था। अंशु के गुंडा बनने की कहानी किसी एक्शन फिल्म की स्टोरी से कम नहीं है।

आजतक की खबर के अनुसार अंशु दीक्षित ने कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया था। जिसके बाद 04 दिसंबर 2014 की सर्द रात को गोरखपुर की स्पेशल टास्क फोर्स ने एक मुठभेड़ में पंद्रह हाजर के इनामी खतरनाक शार्प शूटर अंशु दीक्षित को गिरफ्तार किया। पुलिस ने अंशु से 09 एमएम पिस्टल, कट्टा, कारतूस, मोबाइल और फर्जी पहचान पत्र भी बरामद किया था। कई वारदातों को अंजाम देने वाले अंशु की घेराबंदी के लिए स्पेशल टास्क फोर्स के एडिशनल एसपी एस आनंद और तत्कालीन एडिशनल एसपी डॉ अरविंद चतुर्वेदी ने इस काम को अंजाम देने के लिए डिप्टी एसपी विकास त्रिपाठी को लगाया था। एसटीएफ की टीम को सूचना मिली थी कि शार्प शूटर अंशु गोरखनाख थाना क्षेत्र में है जिसके बाद दोनों के बीच आमना-सामना हुआ। पुलिस को देखते ही अंशु फायर कर भागने लगा था, लेकिन पुलिस की टीम ने उसे दबोच लिया।

गलत संगत ने अंशु को आपराधिक दुनिया की ओर ढकेला। कुड़रा बनी का रहने वाला अंशु दीक्षित लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने के बाद अपराधियों के संपर्क में आया। इस दौरान उसके कई वारदातों को अंजाम दिया। एसटीएफ के अनुसार मंशु ने सुधाकर पांडेय, जय सिंह, संतोष सिंह व विक्रांत मिश्र के साथ मिलकर कई हत्याएं की।

Advertisement

2008 में अंशु बिहार के गोपालगंज स्थित भोरे में अवैध असलहों के साथ पकड़ा गया और 2013 में पेशी से लौटते वक्त सिपाहियों को जहरीला पदार्थ खिलाकर फरार हो गया।

फरार होने के बाद 27 दिसंबर 2014 में वह फिर भोपाल में एसटीएफ लखनऊ के दारोगा संदीप मिश्र की घेराबंदी से फायरिंग कर फरार हो गया। भोपाल में हुई इस फायरिंग में संदीप मिश्र को दो और क्राइम ब्रांच भोपाल के सिपाही राघवेंद्र को एक गोली लगी थी। इसके अलावा प्रोफेशनल शूटर अंशु का नाम लखनऊ के गोरखपुर के तत्कालीन सभासद फौजी व सीएमओ हत्याकांड में भी शामिल है।

पुलिस की हिरासत में अंशु ने अपने अपराध की दुनिया के सफर की ये सारी कहानियां एक पुलिस को सुनाई थी। उस कहानी के मुताबिक पुलिस वालों ने बताया कि एक राजनैतिक पार्टी के नेता का बेटा उसकी बहन के साथ छेड़छाड़ करता था। कई बार नेता के बेटे को समझाने के बाद भी उसकी गुंडई कम नहीं हुई। एक बार उसके सरेआम अंशु की पिटाई करने के बाद उसपर गोली भी चलाई थी। गोली अंशु के पैर पर लगी थी।

अंशु ने इसकी शिकायत थाने में भी की, लेकिन एसओ ने कार्रवाई करने से इंनकार कर दिया। इस दौरान उसके पूरे परिवार को कई प्रकार से टार्चर भी किया गया। जिससे उसकी गर्भवती भाभी को काफी तकलीफ उठानी पड़ी थी। उसके बाद अंशु ने ठान लिया की नेता के बेटे से वह बदला लेकर रहेगा। अंशु को फैजाबाद के एक नेता का सपोर्ट मिला था जिससे वह आसानी से इन सारी वारदोतों को अंजाम देता गया। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: अंशु दीक्षित, उत्तर प्रदेश, चित्रकूट जेल में फायरिंग, स्पेशल टास्क फोर्स, गैंगस्टर की कहानी, Anshu Dixit, Uttar Pradesh, firing in Chitrakoot Jail, Special Task Force, Gangster Story
OUTLOOK 15 May, 2021
Advertisement