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05 May 2020

जामिया हॉस्टल के छात्र धरने पर बैठे, यूनिवर्सिटी प्रशासन पर जबरदस्ती घर भेजने का लगाया आरोप

Outlook

लॉकडाउन में 40 दिनों से ज्यादा समय से दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हॉस्टल में रह रहे छात्र मंगलवार की शाम को धरने पर बैठ गए। छात्रों का आरोप है कि उन्हें इस महामारी संकट के बीच अपने-अपने राज्य जाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि राज्य सरकार से बातचीत के बाद ही सभी बच्चों से बातचीत कर उन्हें भेजा जाएगा।

यूनिवर्सिटी की तरफ से दबाव बनाया जा रहा: छात्र

बिहार के एक छात्र बी.ए 2nd ईयर में इतिहास की पढ़ाई कर रहे हैं। आउटलुक से बातचीत में नाम न छापने की शर्त पर वो बताते हैं, “लगातार हॉस्टल प्रशासन और यूनिवर्सिटी की तरफ से दबाव बनाया जा रहा है कि हमलोग हॉस्टल खाली कर दें। लेकिन, हमलोग जाना नहीं चाह रहे हैं। पिछले दिनों एक फॉर्म दिया गया जिसमें सिर्फ जाने का विकल्प था।“

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भेदभाव करने का आरोप

जामिया के गेट नंबर 4 से जाने वाली गली में कैंपस ए और बी स्थित है। छात्रों के मुताबिक कैंपस ए में अधिकांश ग्रैजुएशन और कुछ पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्र रहते हैं। जबकि कैंपस बी में अधिकांश पीएचडी के बच्चे हैं। इसलिए कैंपस ए पर ज्यादा दवाब बनाया जा रहा है। बिहार के छात्र बताते हैं, “जिस जिले से मैं आता हूं वो रेड जोन में है। बिहार में लगातार मामले बढ़ रहे हैं इसलिए घर से आने के लिए मना किया जा रहा है।“ 

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए धरने पर बैठे छात्र

दरअसल में बिहार सरकार की नई गाइडलाइन के मुताबिक जो भी प्रवासी श्रमिक या छात्र राज्य आते हैं उन्हें 21 दिनों के लिए क्वारेंटाइन में रहना होगा। वो बताते हैं, “इसी बात का हमलोगों को डर है कि यहां से जाने के बाद सभी को क्वारेंटाइन कर दिया जाएगा। जबकि यहां हमलोग 40 से ज्यादा दिनों से एक तरह से क्वारेंटाइन ही हैं।"

अभी कैंपस ए में 65 स्टूडेंट

इसी कैंपस में बिहार के पूर्णिया से आने वाले एक अन्य छात्र जो एम. ए. इस्लामिक स्टडीज में 2nd ईयर के छात्र हैं। वो बताते हैं, “अभी इस कैंपस में 65 स्टूडेंट हैं जिनमें से करीब 50 स्टूडेंट बिल्कुल भी जाना नहीं चाह रहे हैं। लेकिन लगातार हॉस्टल प्रोवोस्ट और यूनिवर्सिटी चीफ प्रॉक्टर की तरफ से दबाव बनाया जा रहा है। मंगलवार को सभी को बारी-बारी से बुलाकर हॉस्टल प्रोवोस्ट की तरफ से एक फॉर्म देकर कहा गया कि इसे जमा करें कि आप जाने के लिए तैयार हैं जबकि हमलोग नहीं जाना चाह रहे हैं।“

छात्रों का आरोप निराधार, एक-दो दिनों में झारखंड के बच्चे जा सकते हैं

वहीं, आउटलुक से बातचीत में जामिया के चीफ प्रॉक्टर वसीम अहमद कहते हैं, “छात्रों का आरोप निराधार है। दिल्ली की स्थिति लगातार खराब हो रही है। इन छात्रों की जिम्मेदारी यूनिवर्सिटी पर हैं। इसलिए हमलोग चाह रहे है कि राज्य सरकार बस अथवा ट्रेन के जरिए ले जाने की योजना बनाती है तो ये सभी सुरक्षित चले जाए। झारखंड सरकार से लगभग बात हो चुकी है। एक-दो दिनों में इस राज्य के बच्चों को भेजने की हमलोग कोशिश कर रहे हैं। झारखंड के 26 बच्चे हैं।“ आगे वो बताते हैं, “सभी बच्चों की मेडिकल जांच की जाएगी और उन्हें एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा। छात्रों को परेशान होने की जरूरत नहीं है।“

'मेस चलाने में हो रही दिक्कत'

बच्चों के दबाव वाले आरोप पर वो कहते हैं, “कम बच्चे हैं फिर भी पूरी कार्यव्यवस्था उसी तरह से चलानी पड़ रही है। अभी यूनिवर्सिटी को भी दो-तीन महीनों के लिए बंद कर दिया गया है। अब मेस चलाने को लेकर दिक्कत आ रही है। ये लोग क्या खाएंगे, इसकी चिन्ता तो करनी पड़ेगी। अभी यूनिवर्सिटी के सभी हॉस्टल में करीब साढ़े चार सौ बच्चे हैं। जिनमें से 176 बच्चे बिहार के हैं। अभी बिहार के नोडल अधिकारी और चीफ सेक्रेटरी से बातचीत चल रही है।“ वहीं हॉस्टल के बच्चे बताते हैं कि लगातार यह धमकी दी जा रही है कि यदि हमलोग नहीं जाते हैं तो खाना-पीना बंद कर दिया जाएगा। वसीम अहमद का कहना है कि बांकी अन्य राज्यों के कुछ बच्चे हैं। उन राज्यों ने कहा है कि यदि ये अपने वाहन से जाना चाहते हैं तो पास उपलब्ध कराया जाएगा। इसके पैसे कौन देगा इस सवाल पर वो कहते हैं कि इसकी जिम्मेदारी यूनिवर्सिटी की है। 

'हम लोगों के लिए भी जारी किया गया था सर्कुलर'

वहीं, जामिया के जम्मू-कश्मीर गर्ल्स हॉस्टल में रहने वाली एक छात्रा बताती हैं कि पहले हमलोगों को हॉस्टल खाली करने को लेकर सर्कुलर जारी किया गया था लेकिन हमलोगों की मांग के बाद प्रोवोस्ट की तरफ से बोला गया है कि राज्यों द्वारा जाने की व्यवस्था के बाद ही हमलोगों को भेजा जाएगा। 600 से 700 छात्राओं के रहने वाले हॉस्टल में फिलहाल करीब 30 बच्चे ही हैं। अब देखते हैं आगे क्या होता है। अगर हमलोगों को सुरक्षित भेजा जाता है तो मैं जाने के लिए तैयार हूं।

फिलहाल छात्रों और यूनिवर्सिटी प्रशासन के बीच लगातार बातचीत चल रही है। छात्रों की मांग पर प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि क्वारेंटाइन करने की शर्त पर उन्हें नहीं भेजा जाएगा।

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TAGS: Students of Jamia Hostel, sit on dharna, accusing university administration, forcibly sending them home, amid lockdown, Neeraj Jha
OUTLOOK 05 May, 2020
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