कश्मीर में बच्चों को हिरासत में रखने का आरोप, सुप्रीम कोर्ट ने एक सप्ताह में मांगा जवाब
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहां लगे प्रतिबंध के दौरान कथित तौर पर गैरकानूनी तरीके से बच्चों को हिरासत में रखने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के जुवेनाइल जस्टिस कमेटी को इस मामले में दखल देने के लिए कहा है।
शीर्ष अदालत ने जुवेनाइल जस्टिस कमेटी से कहा कि वो बच्चों को हिरासत में रखे जाने के मामले पर ध्यान दे और एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करे। एक्टिविस्ट एनाक्षी गांगुली की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एसए बोबडे और एस अब्दुल नजीर की खंडपीठ ने पारित किया। याचिका में जम्मू-कश्मीर में बच्चों के कथित तौर पर हिरासत में रखने से संबंधित रिपोर्ट पर प्रकाश डाला गया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कश्मीर में बच्चों को कथित तौर पर हिरासत में लिए जाने का मुद्दा उठाने संबंधी याचिका पर सुनवाई करेगा क्योंकि यह नाबालिगों से जुड़ा अहम मुद्दा है।
गोगोई ने कहा कि हमें इसकी विरोधाभासी रिपोर्ट भी मिली है। क्योंकि इसमें बच्चों को बंदी बना कर रखने का आरोप है। इसलिए हम हाई कोर्ट के जुवेनाइल जस्टिस पैनल को आदेश देते हैं कि वह इन आरोपों की जांच कर और अपनी रिपोर्ट 1 हफ्ते में कोर्ट को दे।
बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने दाखिल की थी याचिका
दो बाल अधिकार कार्यकर्ताओं एनाक्षी गांगुली और प्रोफेसर शांता सिन्हा ने विशेष दर्जा खत्म करने के बाद जम्मू-कश्मीर में कथित रूप से बच्चों को गैरकानूनी रूप से कैद करने के खिलाफ याचिका दायर की थी।
पांच लोगों को हिरासत में लेने को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब
वहीं दूसरी ओर, शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन से उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें राज्य से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाए जाने के बाद पांच लोगों को हिरासत में लेने को चुनौती दी गई थी। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया। याचिका में प्राधिकारियों को जम्मू-कश्मीर में लोगों को हिरासत में लेने का अधिकार देने वाले कानून के प्रावधानों को चुनौती दी गई है। पीठ ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।