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10 July 2016

पट्टा समाप्त होने के बाद भी किसान को नहीं किया जा सकता बेदखल : कोर्ट

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संपत्ति हस्तांतरण कानून के एक प्रावधान का हवाला देते हुए न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का वह आदेश रद्द कर दिया जिसमें जमीन के पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद एक किसान को बेदखल करने के लिए कहा गया था।

पीठ ने कहा कि संपत्ति हस्तांतरण कानून की धारा 116 के तहत पट्टा खारिज होने या उसकी अवधि समाप्त होने के बाद भी काश्तकार का कब्जा जायज रहता है, जिससे उसे वैधानिक काश्तकार जैसा दर्ज मिल सके और बेदखली से सुरक्षा मिल सके। जैसा कि 1953 के कानून :पंजाब भूमि काश्तकार सुरक्षा कानून: के प्रावधानों में उल्लिखित है। इस पीठ के दो अन्य सदस्य न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति पी सी पंत हैं।

पीठ ने कहा कि किसानों को बेदखल करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है क्योंकि पंजाब भूमि अधिकार सुरक्षा कानून 1953 और पंजाब काश्तकारी कानून 1887 में निर्दिष्ट बेदखली की शर्तों में एेसे काश्तकारों को शामिल नहीं किया गया है, जिनके पट्टे की अवधि समाप्त हो गई है। पीठ ने कहा कि 1953 के कानून के तहत बेदखली से सुरक्षा का हकदार कोई व्यक्ति अगर एेसी सुरक्षा का दावा करता है तो उसे 1953 के कानून के तहत जिस काश्तकार की व्याख्या की गई है उसके दायरे में आना चाहिए और 1953 के कानून को 1887 के कानून के संबद्ध प्रावधानों के साथ पढ़ा जाना चाहिए।

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TAGS: उच्‍चतम न्‍यायालय, किसान, बेदखल, कब्‍जा, जमीन, काश्‍तकारी, गांव, supreme court, land, farmer, village, possession, order
OUTLOOK 10 July, 2016
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