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26 April 2018

मोबाइल नंबर से आधार जोड़ने का निर्देश कभी नहीं दिया: सुप्रीम कोर्ट

बीते दिनों केंद्र सरकार ने सभी मोबाइल यूजर्स को अपना मोबाइल नंबर आधार से जोड़ने के लिए कहा था। सरकार ने बकायदा इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए सर्कुलर भी जारी किया था। सरकारी संस्था UIDAI ने अपने सर्कुलर में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट  ने मोबाइल नंबर को आधार से जोड़ने की बात कही है और मार्च 2017 तक सभी मोबाइल नंबर आधार से लिंक होना अनिवार्य हैं। इस पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा है कि उसने कभी भी मोबाइल नंबर से आधार को जोड़ने का निर्देश नहीं दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने 6 फरवरी 2017 को दिए गए उसके आदेश की गलत व्याख्या की है।

'SC ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया'

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल फोन को आधार से अनिवार्य रूप से जोड़ने के सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए। शीर्ष अदालत ने कहा कि मोबाइल उपयोगकर्ताओं के अनिवार्य सत्यापन पर उसके पिछले आदेश को 'औजार' के तौर पर इस्तेमाल किया गया। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि 'लोकनीति फाउंडेशन' द्वारा दायर जनहित याचिका पर उसके आदेश में कहा गया था कि मोबाइल के उपयोगकर्ताओं को राष्ट्र सुरक्षा के हित में सत्यापन की आवश्कता है। यह पीठ आधार और इसके 2016 के एक कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इस संवैधानिक पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा जस्टिस एके सिकरी, जस्टिस एएन खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एके भूषण शामिल हैं। पीठ ने कहा, “असल में उच्चतम न्यायालय ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया लेकिन आपने इसे मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए आधार अनिवार्य करने के लिए औजार के रूप में प्रयोग किया।”

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 'लाइसेंस समझौता सरकार और सेवा प्रदाताओं के बीच है'

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई ) की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि दूरसंचार विभाग की अधिसूचना ई केवाईसी प्रक्रिया के प्रयोग से मोबाइल फोनों के पुन : सत्यापन की बात करती है। उन्होंने बेंच से कहा कि टेलीग्राफ कानून सेवाप्रदाताओं की 'लाइसेंस स्थितियों पर फैसले के लिए केंद्र सरकार को विशेष शक्तियां' देता है।

इसपर संवैधानिक पीठ ने कहा कि 'आप ( दूरसंचार विभाग ) सेवा प्राप्त करने वालों के लिए मोबाइल फोन से आधार को जोड़ने के लिए शर्त कैसे लगा सकते हैं? पीठ ने आगे अपनी बात में यह भी जोड़ा कि लाइसेंस समझौता सरकार और सेवा प्रदाताओं के बीच है। राकेश द्विवेदी ने कहा कि मोबाइल के साथ आधार को जोड़ने का निर्देश ट्राई की सिफारिशों के संदर्भ में दिया गया था। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना राष्ट्र के हित में है कि सिम कार्ड उन्हें ही दिए गए जिन्होंने इसके लिए आवेदन किया।

दरअसल UIDAI के वकील उन आरोपों के संदर्भ में अपनी बात रख रहे थे जिसके तहत कहा जा रहा रहा कि सरकार नागरिकों के सर्विलांस की कोशिश कर रही है। वकील ने कहा कि टेलिग्राफ ऐक्ट के सेक्शन 4 के तहत सरकार के पास आधार को मोबाइल से लिंक करने का कानूनी आधार था। उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम राष्ट्रीय हित के लिए भी उचित है। वरिष्ठ वकील ने सुनवाई की शुरुआत में ही आरोप लगाया कि आधार स्कीम को गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा था। ऐसा इसलिए क्योंकि कोई भी बैंकों और टेलिकॉम फर्मों को जानकारी एकत्रित करने पर सवाल नहीं उठा रहा था।

वकील ने जोर दिया कि बैंकों और टेलिकॉम कंपनियों के पास नागरिकों का ज्यादा बड़ा डेटा बेस है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए वोडाफोन के पास आधार के बिना भी सूचनाओं का एक बड़ा डेटा बेस है। उन्होंने कहा कि ऐसे में आधार डेटा उनके लिए महत्वहीन है। उन्होंने कहा कि बैंकों के पास भी बहुत ज्यादा सूचनाएं हैं। बैंक के पास किसी शख्स के हर ट्रांजैक्शन की खबर है। किसी ने अपने कार्ड से कब और कहां क्या खरीदा, बैंक सब जानता है। आधार यह सब जानकारी नहीं देता। यह जानकारी पहले से बैंकों के पास है और इसका व्यावसायिक इस्तेमाल भी किया जा रहा है।

सरकार बोलती रही झूठ

मोबाइल से आधार को लिंक करने के लिए सरकार लगातार उपयोगकर्ताओं पर दबाव बनाती रही है। इसके लिए सरकार ने ना सिर्फ सर्कुलर जारी किया बल्कि सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर इसे अनिवार्य बताती रही। इस संबंध में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के पुराने ट्वीट भी देखे जा सकते हैं। एक ट्वीट में कानून मंत्री ने लिखा कि हां, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक आपको आधार के साथ अपने मोबाइल नंबर को जोड़ने की जरूरत है।


 

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TAGS: Supreme Court, questions, Centre, mandatory, seeding, Aadhaar, mobile
OUTLOOK 26 April, 2018
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