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07 May 2019

चुनाव आयोग से मिले विपक्ष दल, चंद्रबाबू नायडू ने कहा- पारदर्शी तरीके से हों चुनाव

सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान को लेकर विपक्ष के द्वारा दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका को टीडीपी और कांग्रेस समेत 21 विपक्षी दलों ने शीर्ष अदालत में दायर किया था। इन दलों की मांग थी कि 50 फीसदी वीवीपैट पर्चियों की ईवीएम से मिलान का आदेश चुनाव आयोग को दिया जाए। सुनवाई के समय चंद्रबाबू नायडू, डी. राजा, संजय सिंह और फारूक अब्दुल्ला अदालत में उपस्थित रहे।

इस मामले पर एक बार फिर विपक्षी दलों के नेता चुनाव आयोग से मिले। मुलाकात के बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा- चुनाव आयोग का काम है कि चुनाव पारदर्शी तरीके से हों। हम सिर्फ इतना कह रहे हैं कि लोकतंत्र को बचाया जाए और पारदर्शिता लाई जाए। वह कुछ मुद्दों पर सहमत हुए। उन्हें काम करने दीजिए, हम फिर निर्णय करेंगे कि क्या करना है।

याचिका को खारिज करते हुए सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि अदालत इस मामले को बार-बार क्यों सुने। सीजेआई  ने कहा कि वह इस मामले में दखलअंदाजी नहीं करना चाहते हैं।

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इससे पहले 8 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने हर विधानसभा क्षेत्र में 5 बूथ के ईवीएम को वीवीपैट की पर्ची से मिलाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम को वीवीपैट की पर्ची से मिलाने के अपने इस आदेश में एक से बढ़ाकर पांच कर दिया था। गौरतलब है कि फिलहाल केवल एक बूथ के ईवीएम का ही वीवीपैट की पर्ची से मिलान किया जाता है।

याचिका में क्या कहा गया था?

 विपक्षी पार्टियों की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा था कि चुनाव समाप्त होने वाले हैं और 23 मई को मतगणना है। ऐसे में यदि याचिका पर तुरंत सुनवाई नहीं होगी तो यह महत्वहीन हो जाएगी।

याचिका में कहा गया था कि वीवीपैट पर्चियों के मिलान में केवल दो फीसदी की वृद्धि पर्याप्त नहीं होगी और इससे अदालत के आदेश से पहले की स्थिति में बहुत अधिक बदलाव नहीं आयेगा। इसलिए, याचिकाकर्ता मेरिट के आधार पर अपनी दलीलों में सफल भले रहे हों मगर उनकी यह सफलता उनकी शिकायत का समाधान नहीं करती है। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट की पहले की टिप्पणी का जिक्र करते हुये कहा है कि उसने कहा था कि ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों में औचक मिलान की प्रक्रिया में दो प्रतिशत की वृद्धि से चुनाव प्रक्रिया में जनता का विश्वास बढ़ाने का मकसद पूरा नहीं होगा।   

-आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चन्द्रबाबू नायडू के नेतृत्व में इन विपक्षी दलों के नेताओं ने पुनर्विचार याचिका में कहा कि वीवीपैट पर्चियों के औचक मिलान के लिये एक मतदान केन्द्र से बढ़ाकर पांच मतदान केन्द्र करना पर्याप्त नहीं है और इससे न्यायालय द्वारा अपेक्षित संतोषप्रद परिणाम नहीं मिलेंगे। याचिका में चुनाव आयोग की इस दलील का विरोध किया गया है कि चुनाव नजदीक हैं और ऐसी स्थिति में ईवीएम के साथ वीवीपैट की पर्चियों के मिलान की संख्या को बढाना व्यावहारिक नहीं है।

-याचिका में कहा गया है कि मिलान के लिये व्यावहारिक संख्या तर्कसंगत होनी चाहिए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि आंध्र प्रदेश में अनेक मतदान केन्द्रों पर वीवीपैट मशीनें सही तरीके से काम नहीं कर रही थीं।

इन दलों ने दाखिल की थी याचिका

तेदेपा प्रमुख एन.चंद्रबाबू नायडू की अध्यक्षता में देश भर के 21 विभन्न दलों के द्वारा जनहित याचिका दाखिल की गई थी। नायडू के अलावा याचिकाकर्ताओं में केसी वेणुगोपाल, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, शरद पवार, डेरेक ओ ब्रायन, फारूक अब्दुल्ला, शरद यादव, अजीत सिंह, दानिश अली और मनोज झा शामिल हैं।

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TAGS: Supreme court, review petition, 21 opposition parties, evm, vvpat paper verification, lok sabha elections
OUTLOOK 07 May, 2019
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