Advertisement
15 September 2021

जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा- वकीलों का जीवन अन्य लोगों से अधिक मूल्यवान नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कोविड-19 या अन्य किसी कारण से जान गंवाने वाले 60 वर्ष से कम आयु के वकीलों के परिजनों को 50-50 लाख रुपये का मुआवजा देने का केंद्र को निर्देश देने के लिए कहा गया था। कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं कहा जा सकता कि वकीलों का जीवन अन्य लोगों से अधिक कीमती है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि वह वकीलों द्वारा 'फर्जी' जनहित याचिकाएं दायर करने को प्रोत्साहित नहीं कर सकती है। पीठ ने याचिका खारिज कर दी और याचिकाकर्ता पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगा दिया। पीठ ने वकील को जुर्माने की राशि एक हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में जमा कराने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यादव को जुर्माने की राशि एक हफ्ते के भीतर उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन में जमा कराने का निर्देश दिया है। यादव ने अपनी याचिका में केन्द्र, बार काउंसिल ऑफ इंडिया और कई अन्य बार संगठनों को प्रतिवादी बनाया था।

Advertisement

पीठ ने कहा कि यह याचिका सिर्फ प्रचार पाने के लिए है। इसका एक भी प्रासंगिक आधार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि देश में कोरोना के कारण अनेक लोगों की मृत्यु हुई है। कोरोना से जिन लोगों की मौत हुई है, उनके स्वजन को मुआवजा देने के बारे में दिशा-निर्देश बनाने के बारे में शीर्ष अदालत पहले ही फैसला दे चुकी है।

पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता प्रदीप कुमार यादव से कहा कि क्या समाज के अन्य लोगों का महत्व नहीं है। यह एक पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन है। आपने काला कोट पहन लिया है तो इसका मतलब यह नहीं कि आपका जीवन अन्य लोगों से ज्यादी कीमती हो गया है। हमें वकीलों को फर्जी जनहित याचिकाएं दायर करने के लिए प्रेरित नहीं करना चाहिए।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Supreme Court, life of lawyers, more precious, Covid-19, Corona Virus
OUTLOOK 15 September, 2021
Advertisement