जजों को हटाने को लेकर सांसदों की बयानबाजी रोकने संबंधी याचिका पर सुनवाई टली
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि उच्चतर न्यायपालिका के किसी न्यायाधीश को पद से हटाने के बारे में सांसदों को सार्वजनिक बयान देने से रोकने के लिए दायर याचिका पर जुलाई में सुनवाई की जाएगी।
याचिका में संसद मे किसी तरह का नोटिस दिए जाने के बजाय इस संबंध में सांसदों की सार्वजनिक बयानबाजी पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि मामले पर तत्काल सुनवाई करने की कोई जरूरत नहीं है। पीठ ने कहा कि राज्यसभा के नियम भी सदन में किसी तरह का नोटिस देने से पहले सांसदों द्वारा इस तरह के बयान दिए जाने को निषेध करते हैं।
पीठ ने कहा, “ हमें किसी तरह का दिशा - निर्देश तैयार करने की जरूरत नहीं है।”
साथ ही कहा कि सवाल यह है कि इस तरह की चर्चा संसद के बाहर होनी चाहिए या नहीं।
पीठ एक गैर सरकारी संगठन ‘ इन परसूट ऑफ जस्टिस ’ की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में उन सांसदों द्वारा पालन की जाने वाली प्रक्रियाओं के नियमन के लिए दिशा - निर्देश या तौर - तरीके निर्धारित करने की बात कही गई है जो उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश को पद से हटाने के लिए कार्यवाही शुरू करने के इच्छुक होते हैं।
इनमें उन प्रक्रियाओं के नियमन की बात कही गई है जो संविधान के अनुच्छेद 124 (4) और (5) और अनुच्छेद 217 (1) (बी) के तहत एक प्रस्ताव लाने से पहले शुरू कर दी जाती हैं।
अनुच्छेद 124 (4) और (5) उस प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है जिसका पालन उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश को पद से हटाने के लिए किया जाना चाहिए।