चिदंबरम के खिलाफ ईडी की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई, गिरफ्तारी से कल तक राहत
आईएनएक्स मीडिया केस में फंसे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को बुधवार तक के लिए राहत मिल गई है। चिदंबरम को हिरासत में लेने वाली ईडी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई पूरी नहीं हो पाई। अब बुधवार को इस मामले पर आगे की सुनवाई होगी।
बता दें कि पी. चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना कर रहे हैं। चिदंबरम की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सोमवार को चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा। सिब्बल ने कहा कि इससे पहले जो भी पूछताछ हुई हैं, उसकी ट्रांसक्रिप्ट कोर्ट के सामने रखी जानी चाहिए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में चिदंबरम को 26 अगस्त तक सीबीआई हिरासत में भेजे जाने के ट्रायल कोर्ट के 22 अगस्त के आदेश को चुनौती देने वाली पूर्व वित्त मंत्री की एक नयी याचिका पर मंगलवार को सुनवाई कर रही है।
चिदंबरम की पैरवी कर रहे कपिल सिब्बल ने कोर्ट में ईडी अधिकारियों की जांच के तरीके पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि जो भी पूछताछ हुई हैं, उसकी ट्रांसक्रिप्ट कोर्ट के सामने रखी जानी चाहिए। इससे पहले दिसंबर 2018, दिसंबर 2019 में पूछताछ हुई थी। उन्होंने शीर्ष अदालत में कहा कि ईडी कोर्ट को बताए कि उन्होंने चिदंबरम को दस्तावेजों से कम्फ्रंट कराया या नहीं।
सिब्बल ने कहा कि ईडी की ओर से दस्तावेज अचानक लाए जा रहे हैं। वहीं, चिदंबरम के दूसरे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यदि ईडी पूछताछ में सवाल पूछ रही है, तो आरोपी ने क्या जवाब दिया, वो भी कोर्ट में बताना होगा। केस डायरी जो दिखाई जा रही है, उसमें ये शामिल होना चाहिए।
याचिका कल नहीं हो पाई थी लिस्ट
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने राज्यसभा सदस्य चिदंबरम की ओर से पेश होते हुए सोमवार को पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए कहा था कि निचली अदालत के 22 अगस्त के आदेश (उन्हें सीबीआई हिरासत में सौंपे जाने) को चुनौती देने वाली उनकी (चिदंबरम की) नयी याचिका आज (सोमवार) को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं थी, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए पिछले सप्ताह निर्देश दिया था।
हालांकि, बेंच ने सिब्बल से कहा कि सीजेआई रंजन गोगोई से शीर्ष न्यायालय की रजिस्ट्री को आवश्यक आदेश मिलने के बाद ही यह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होगी। पीठ ने सिब्बल से कहा, ‘‘रजिस्ट्री को कुछ दिक्कत है और उन्हें सीजेआई से आदेश लेना होगा।’’
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘सीजेआई से आदेश प्राप्त करने के बाद मामले को उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।’’
अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने किया था इनकार
गौरतलब है कि चिदंबरम ने सीबीआई और ईडी द्वारा आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में चिदंबरम की अग्रिम जमानत खारिज करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के 20 अगस्त के आदेश को चुनौती देने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया है। हालांकि, चिदंबरम को सोमवार को उस समय बड़ा झटका लगा, जब सुप्रीम कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया घोटाले में सीबीआई के मामले में उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने सुनवाई शुरू होते ही कहा कि चिदंबरम को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है, इसलिए अग्रिम जमानत याचिका रद्द होने के खिलाफ उनकी अपील अब निरर्थक हो गयी है। बहरहाल, बेंच ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार पी चिदंबरम कानून के प्रावधानों के तहत राहत पाने के लिये स्वतंत्र हैं। हालांकि, पीठ ने चिदंबरम के खिलाफ ईडी द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कांग्रेस के इस 73 वर्षीय नेता को मंगलवार तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान कर दिया।
सीबीआई हिरासत की अवधि चार दिन के लिये बढ़ी
इस बीच, दिल्ली की एक अदालत ने आईएनएक्स मीडिया मामले में राज्यसभा सदस्य चिदंबरम की सीबीआई हिरासत की अवधि सोमवार को 4 दिन के लिये बढ़ा दी। 4 दिन की सीबीआई हिरासत की अवधि पूरी होने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया था। अदालत ने 22 अगस्त को चिदंबरम को चार दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा था। जांच एजेंसी ने उनकी हिरासत की अवधि और 5 दिन बढ़ाने की मांग की थी। चिदंबरम को सीबीआई ने जोरबाग स्थित उनके आवास से 21 अगस्त की रात गिरफ्तार किया था। उन्हें 22 अगस्त को कोर्ट में पेश किया गया, जिसने उन्हें चार दिनों की सीबीआई हिरासत में सौंप दिया था।
क्या है मामला?
यूपीए-एक और यूपीए दो सरकार में चिदंबरम 2004 से 2014 के दौरान वित्त मंत्री और गृह मंत्री रह चुके हैं। उनके वित्त मंत्री रहने के दौरान 2007 में आईएनएक्स मीडिया समूह को एफआईपीबी की मंजूरी देने में बरती गई कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी। यह मंजूरी 305 करोड़ रुपये का विदेशी धन प्राप्त करने के लिए दी गई थी। इसके बाद, ईडी ने भी 2017 में इस सिलसिले में मनी लॉन्ड्रिंग का एक मामला दर्ज किया था।