Advertisement
26 November 2020

26/11- जब गोलियों की तड़तड़ाहट से दहली थी मुंबई, पूरी कहानी मौत के मंजर का सामना करने वाले की जुबानी

File Photo

साल 2008 के नवंबर महीने में हुए आतंकी हमले ने आर्थिक राजधानी मुंबई के साथ-साथ पूरे देश को दहला दिया था। करीब 12 साल बीत जाने के बाद भी उन गोलियों की तड़तड़ाहट आज भी जिह्न में जिंदा है। 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई को बम धमाकों और गोलीबारी से दहला दिया था। इस हमले में करीब साठ घंटे तक मुंबई बंधक बनी रही। भारत के इतिहास में ये काला दिन था जिसे कोई भूल नहीं सकता। हमले में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। आइए, इस मौत के मंजर का सामना करने वाली दिल्ली में मीडिया से जुड़ी सोनाली चटर्जी  की जुबानी जानते हैं कि उस रात क्या हुआ था। आज भी ये उन दृश्यों को याद कर कांप उठती हैं।

सोनाली चटर्जी बताती हैं...

ये घटना 12 साल पहले घटी थी, इसलिए यादें समय के साथ थोड़ी फीकी पड़ जाती हैं, लेकिन कुछ बातें अभी भी ताजी हैं जैसे कल की बात हो। हमारी पूरी संपादकीय टीम मुंबई में थी और हम सभी ताज होटल में थे। 26 नवंबर की सुबह मैं होटल पहुंची। मुझे याद है कि मैंने अपने सभी कपड़े (अगले दो से तीन दिनों में सभी कार्यक्रमों के लिए)  को रखें और कॉफी शॉप-बिजनेस सेंटर में कई बैठकें आयोजित कीं।

Advertisement

शाम को, हम में से कुछ लोग रात के खाने के लिए बाहर गए और रात लगभग 9.30 बजे होटल वापस आए। मैं ताज होटल के नए विंग की 17 वीं मंजिल पर थी। मुझे अपने बॉस से कॉल आया,जो हेरिटेज विंग में थें। उन्होंने कहा कि मैंने गोलियों की आवाज सुनी है और मुझे अपना दरवाजा बंद करने के लिए कहा। मैं सोची कि ये पटाखे की आवाज होनी चाहिए। फिर भी, मैंने अपना दरवाजा बंद कर लिया।

रात के करीब 10.45 बजे कमरे में फोन की घंटी बजी। होटल ताज की एक कर्मचारी थी, वो बोली कि लॉबी में एक घटना हुई है और हमें अपने दरवाजे बंद करने के लिए कही। साथ हीं सिर्फ ताज के कर्मचारियों के लिए हीं खोलने की बात कही। और फिर वो चुप हो गई। मैंने उसे पूछने की कोशिश की कि क्या चल रहा। जिसके बाद किसी भी काउंटर से कोई जवाब नहीं आया। तब मुझे एहसास हुआ कि कुछ गलत हो रहा है। जिसके बाद कई घंटों तक गोलियों की आवाज से पूरा होटल और मुंबई गुंजता रहा। मुझे अगले कुछ घंटों के दौरान लगातार गोलियों की आवाज़ सुनाई दी और बीच-बीच में तेज़ विस्फोट हुए। हम अपने अंधेरे कमरों में बैठे थे, दुनिया भर में अपने परिवार के सदस्यों और अपने सहयोगियों से बात कर रहे थे। हमारे समाचार संगठन ने ईमेल पर एक वैश्विक टास्क फोर्स का गठन किया। होटल में हम चार लोग  थे। उनका संदेश स्पष्ट था - हम चारों  हर 15 मिनट में हम उन्हें मैसेज दे कि हम ठीक हैं या नहीं। इस बीच, उन्हें होटल में हमारे सटीक लोकेशन मिल गया। मुझे ठंड और प्यास महसूस हो रही थी। लेकिन, मैं सतर्क थी। मैंने शायद उसी समय ट्रैक खो दिया, जब हमें संपादकीय के प्रमुख से एक ईमेल मिला, जिसमें सिर्फ तीन शब्द लिखे थे- अभी बाहर निकालो।

हमें पता था कि होटल में आग लगी हुई थी। उस ईमेल ने हमें तत्काल स्थिति में वापस ला दिया। उन्होंने कहा कि एक तौलिया को गीला करना सबसे अच्छा है, क्योंकि बाहर धुंआ हो सकता है। मैंने अपने पति को फोन किया और कहा कि मैं बाहर जा रही हूं। मैंने दरवाजा खोला और एक शांत और खाली गलियारे से बाहर बढ़ी। आदत से मजबूर होकर मैं लिफ्ट में चली गई, लेकिन फिर खुद को कोसते हुए आग से बचने की कोशिश की और आखिरकार ढूंढ ली।

 

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: 26/11 Siege Of Mumbai, मुंबई हमला, मायानगरी, आतंकी हमला
OUTLOOK 26 November, 2020
Advertisement