शिवसेना का 170 से ज्यादा विधायकों के समर्थन का दावा, कहा- भाजपा के साथ सिर्फ सीएम पद पर होगी बात
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजों को आए हुए अब सप्ताह भर से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक सरकार गठन को लेकर स्थिति साफ नहीं हो सकी है। भाजपा और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही खींचतान के बीच शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी के पास 170 से अधिक विधायकों का समर्थन है। वे अब भाजपा से सिर्फ मुख्यमंत्री पद को लेकर ही बातचीत करेंगे।
राउत ने संवाददाताओं से कहा, "यह गतिरोध जारी है। सरकार के गठन पर अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है। यदि बातचीत होती है, तो यह केवल मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर होगी।"
उन्होंने कहा कि पिछले महीने राज्य के चुनावों में 105 सीटें जीतने वाली भाजपा को शिवसेना के साथ गठबंधन नहीं करने पर 75 से अधिक नहीं मिलेगा।
राज्यसभा सदस्य ने आगे कहा कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे पिछले महीने हुई बेमौसम बारिश के कारण उस जिले में फसल के नुकसान का जायजा लेने के लिए रविवार को औरंगाबाद में हैं। इससे पहले, शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में अपने साप्ताहिक कॉलम में राउत ने सरकार के गठन पर गतिरोध की तुलना "अहंकार के कीचड़ में फंसे रथ" से की। उन्होंने भाजपा को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की बात पर कहा कि ऐसा कदम पार्टी की "सदी की सबसे बड़ी हार" होगी।
170 अधिक विधायकों का समर्थन...
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि हमारे पास बहुमत का आंकड़ा है। अभी हमारे पास 170 विधायकों का समर्थन है, जो 175 तक पहुंच सकता है। गौरतलब है कि, शिवसेना के 56 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 44 और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के पास 54 विधायक हैं, वहीं, निर्दलीय विधायकों की संख्या एक दर्जन से ज्यादा है। यदि ये सभी पार्टियां एकसाथ आती हैं तो ये आंकड़ा 170 के करीब पहुंचता है।
'अहंकार के कीचड़ में रथचक्र!
वहीं पार्टी मुखपत्र 'संडे सामना' में लिखे लेख में शिवसेना नेता और सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने कहा है कि शिवसेना वो जल्दबाजी नहीं दिखाएगी और घुटने टेकने नहीं जाएगी, ऐसी नीति उद्धव ठाकरे ने अपनाई है और व्यर्थ चर्चा का दरवाजा बंद कर दिया है।
'अहंकार के कीचड़ में रथचक्र! एक सरकार बनेगी क्या?' शीर्षक से लेख लिखा गया है। इसमें शिवसेना ने कहा, ''कलियुग ही झूठा है। सपने में दिया गया वचन पूरा करने के लिए राजा हरिश्चंद्र ने राजपाट छोड़ दिया। पिता द्वारा सौतेली मां को दिए गए वचन के कारण श्रीराम ने राज छोड़कर वनवास स्वीकार कर लिया। उसी देश में दिए गए वचन से विमुख होने का ‘कार्य’ भारतीय जनता पार्टी ने पूरा कर दिया। ये सब एक मुख्यमंत्री पद के कारण हो रहा है और राज्य में सरकार बनाने की प्रक्रिया अधर में लटकी है।''
शिवसेना ने कहा, ''मैं ही दोबारा मुख्यमंत्री बनूंगा, ऐसा देवेंद्र फडणवीस कहते हैं। देवेंद्र दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा। फिर भी रथ के पहिए फंस गए हैं और बीजेपी के संकटमोचक कृष्ण अमित शाह रथ के उद्धार के लिए अब तक आगे नहीं आए हैं, यह रहस्य है।''