तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति की गिरफ्तारी नहीं
उच्चतम न्यायालय ने वृहद पीठ द्वारा मामले पर विचार तक तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत का विस्तार किया। उच्चतम न्यायालय ने 2002 के दंगे में तबाह अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में एक संग्रहालय के धन के कथित गबन के मामले में अग्रिम जमानत की मांग करने वाली तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति की ओर से दाखिल याचिका एक वृहद पीठ को भेज दि है।
हालांकि, न्यायालय ने कहा कि सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को गिरफ्तारी से राहत संबंधी अंतरिम आदेश वृहद पीठ में मामले की सुनवाई शुरू होने तक लागू रहेगा। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने मामला वृहद पीठ को भेजते हुए कहा कि यह प्रकरण मामले में अपराध के मद्देनजर आजादी की अवधारणा संबंधी कई मुद्दों को उठाता है।
पीठ ने यह भी कहा कि जिन मुद्दों पर चर्चा की जरूरत है उसमें कानून की सर्वोच्चता, आजादी के मूल्य, विनियमित आजादी की अवधारणा, अग्रिम जमानत और जांच के दौरान आरोपी की तरफ से असहयोग का मामला भी शामिल है।
19 फरवरी को जमानत पर फैसला सुरक्षित रखते हुए कोर्ट ने पुलिस को इस दौरान दोनों को गिरफ्तार न करने का निर्देश दिया था। साथ ही कोर्ट ने तीस्ता को मामले की जांच में पुलिस का सहयोग करने को भी कहा था। इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता और उनके पति की अग्रिम ज़मानत की याचिका को ठुकरा दिया था, जिसके बाद इन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।