हाईकोर्ट ने कहा- यूपी पंचायत चुनाव में जान गंवाने वाले कर्मचारियों के परिजनों को मिले 1 करोड़; दो हजार से ज्यादा की मौत का दावा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना की चपेट में आकर जान गंवाने वाले कर्मचारियों के परिजनों को मिलने वाला मुआवजा कम है। इस पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने मुआवजा की राशि बढ़ाकर एक करोड़ करने को कहा है। हालाकि कोई ने अभी तक कोई आदेश पारित नहीं किया है। फिलहाल कोर्ट ने चुनाव आयोग और सरकार से इस पर जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की दो-न्यायाधीश पीठ ने राज्य में महामारी फैलने और क्वॉरंटाइन सेंटर की स्थितियों पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
हाईकोर्ट ने कहा कि जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें से कई परिवार के लिए रोटी कमाने का एकलौता सहारा था। उनसे जानबूझकर आयोग और सरकार ने चुनाव में ड्यूटी कराई।
कोर्ट ने आगे कहा कि हमें लगता है की मुआवजा कम के कम एक करोड़ रुपये होना चाहिए। हमें आशा है कि राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार मुआवजा राशि को बढ़ाने पर विचार करेगी। हम अगली तारीख में इस मामले को देखेंगे।
बता दें कि कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश कर्मचारी संघ संयुक्त परिषद का दावा किया था कि राज्य में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दो हजार शिक्षक और कर्मचारियों की मौत हुई है। जिस पर संघ ने प्रदेश सरकार से मृतक कर्मचारियों और शिक्षकों के परिजनों को 50-50 लाख रुपये मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की मांग की थी।
संघ के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने कहा था कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान हजारों की संख्या में शिक्षक और कर्मचारी कोरोना संक्रमित हुए थे। इसमें से करीब एक हजार की कोरोना के कारण मौत हो गई। इसके साथ ही उनसे संपर्क में आने से उनके परिजनों की भी मौत हुई।