आंदोलन से लौटे पंजाब के किसानों ने कर्ज माफी के लिए चन्नी सरकार पर बनाया दबाव, 17 को सीएम चन्नी से बैठक
केंद्र के तीन कृषि कानून रद्द होने के बाद दिल्ली की सीमाओं से पंजाब लौट रहे किसान अब कांग्रेस की चन्नी सरकार को घेर रहे हैं। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि भले ही दिल्ली की सीमाओं पर मौर्चे हटा लिए गए हैं पर पंजाब में किसानों के धरने तब तक जारी रहेंगे जब तक कांग्रेस सरकार 2017 के अपने चुनावी घोषणा पत्र मुताबिक किसानों की कर्ज माफी नहीं कर देती। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले किसान कर्ज माफी के मुद्दे ने पंजाब में कांग्रेस सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। तीन कानून रद्द होने के बाद खत्म हुए आंदोलन से जहां कांग्रेस के हाथ से किसान आंदोलन का मुद्दा छिन गया है वहीं अब कर्ज माफी उसके गले ही फांस बनी हें।
कर्ज माफी के मुद्दे पर तीन महीनें की चन्नी सरकार अभी तक कुछ भी नहीं कर पाई है। इससे पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह के साढ़े चार साल के कार्यकाल में पंजाब के दो एकड़ तक जमीन मालिक 5.64 लाख किसानों के 4 624 करोड़ रुपए के कर्ज माफी के अलावा 2.85 लाख भूमिहीन मजदूरों के 520 करोड़़ रुपए के कर्ज माफ किया गए। तीन महीनें के कार्यकाल मेंं चन्नी सरकार इस दिशा में कुछ नहीं कर पाई है और अब जबकि चुनाव सिर पर हैं और आचार सहिंता लागू होने की सूरत में कर्ज माफी का मसला ठंडे बस्ते में पड़ना कांग्रेस को भारी पड़ सकता है।
कृषि कर्ज माफी के मसले घिरी पंजाब की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने 17 दिसंबर को चंडीगढ़ में किसान संगठनों की बैठक बुलाई है। किसाान कर्ज माफी के मसले पर धरने प्रदर्शन जारी रखने पर अड़ी भारतीय किसान यूनियन उगरांह(एकता)के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकंला ने आउटलुक से बातचीत में कहा, “ 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के किसानों की पूर्ण कर्ज माफी का वादा किया जिसमें सरकारी-प्राइवेट बैंकों के अलावा आढ़तियों से लिए कर्ज माफी का वादा चुनावी घोषणा पत्र में भी किया गया था। पांच साल बीतने का आए पर पंजाब के किसान कर्ज मुक्त नहीं हो पाए हैं जबकि सरकार अन्य वर्गाें के लिए राहत की कई घोषणाएं कर चुकी है”।
दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के वक्त मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी राज्य के किसान संगठनों से चंडीगढ़ में हुई बैठक में उनके 18 मुद्दों पर सहमति जता चुके हैं। जबकि कर्ज माफी के मुद्दे को लेकर चन्नी ने कहा था कि वह इस बारे में किसानों से अगली बैठक में चर्चा होगी। आंदोलन से लौटे किसानों ने अब चन्नी सरकार पर कर्ज माफी के मसले को लेकर दबाव बनाया है। कांग्रेस किसान आंदोलन के वक्त भाजपा और िशरोमणि अकाली दल को घेरने में जुटी चन्नी सरकार अब खुद कर्ज माफी के मसले पर किसानों से घिर गई है।
कृषि अर्थशास्त्री आरएस घुम्मण का कहना है, “ फरवरी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कृषि कर्ज माफी का मसला गर्माएगा। चरणजीत चन्नी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के लिए किसान कर्ज माफी सबसे बड़ी चुनौती रहेगी। इसका सियासी लाभ पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ले सकते हैं क्योंकि उनके साढ़े चार साल के कार्यकाल में करीब आठ लाख किसानों और खेती मजदूरों पांच हजार करोड़ के कर्ज माफ हुए हैं। अगले चरण में और भी किसानों के कर्ज माफ होने थे पर अमरिंदर को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद कर्ज माफी भी लटक गई।