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23 February 2015

जमीन अधिग्रहण पर आज से हंगामा

जितेन्द्र गुप्ता

जंतर-मंतर पर धरना देने के लिए अण्णा हजारे, मेधा पाटकर, राजेन्द्र सिंह, पीवी राजगोपाल सहित देश के विभिन्न हिस्सों से समाजसेवी जुट रहे हैं। इसके अलावा पांच हजार से अधिक किसान भी इस विधेयक के विरोध में धरना देंगे।
नरेंद्र मोदी सरकार के जमीन अधिग्रहण अध्यादेश को लेकर चारो तरफ विरोध हो रहा है। उद्योग जगत तो इस अध्यादेश को लेकर खुश है लेकिन किसानों के विरोध के कारण यह विधेयक कमजोर पड़ गया। यूपीए सरकार में यह कानून बनाया गया था कहीं भी जमीन अधिग्रहण से पहले 80 फीसदी किसानों की सहमति जरुरी है। जबकि मोदी सरकार ने नया अध्यादेश जारी किया कि रक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा, पीपीपी प्रोजेक्ट, औद्योगिक काॅरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण किया जाएगा तो इसके लिए सहमति की जरुरत नहीं है। ऐसे में यह विधेयक उद्योगपतियों के लिए तो फायदेमंद है लेकिन किसानों के विरोध में हैं। जिसका विरोध चारो तरफ हो रहा है।
लोकपाल बिल को लेकर आंदोलन कर चुके अण्णा हजारे ने भूमि अधिग्रहण के विरोध में धरना देने का फैसला किया है जिसको किसानों सहित कई संगठनों का सहयोग मिल रहा है। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी इस विधेयक का असर देखने को मिला कि किसान मोदी सरकार के खिलाफ हो गए।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार औद्योगिक घरानों के लिए काम कर रही है। उन्होेंने कहा कि सरकार ने औद्योगिक घरानों के लिए अच्छे दिन लाने की खातिर मूल जमीन अधिग्रहण कानून के मौलिक सिद्धांतों को हटा दिया है। जयराम ने कहा कि मूल कानून में किसानों की सहमति जरूरी थी लेकिन सरकार ने बिना किसी चर्चा के अध्यादेश पारित कर दिया और नौकरशाही को शक्ति सौंप दी। उन्होंने कहा, काले अध्यादेश में जमीन अधिग्रहण कानून 2013 के मूल सिद्धांतों को खत्म कर दिया गया है। संप्रग सरकार ने विभिन्न किसान संगठनों से विचार विमर्श करने के बाद कानून बनाया था।

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TAGS: भूमि अधिग्रहण, संसद सत्र, बजट, अण्णा हजारे, जयराम रमेश, नरेंद्र मोदी, सरकार
OUTLOOK 23 February, 2015
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