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13 January 2019

संसद से पास नहीं होने पर सरकार ने फिर लाया तीन तलाक पर अध्यादेश

फौरी तीन तलाक की प्रथा पर रोक लगाने एवं उसे दंडनीय अपराध बनाने के संबंध में सरकार एक बार फिर अध्यादेश लेकर आई है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, शनिवार को जारी किए गए मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश, 2019 के तहत एक बार में तीन तलाक लेना गैरकानूनी, अवैधानिक होगा और पति को इसके लिए तीन साल की कैद हो सकती है।

सितंबर 2018 में जारी किए गए पिछले अध्यादेश को कानून की शक्ल देने के लिए लाया गया एक विधेयक लोकसभा से तो पारित हो गया था लेकिन वह राज्यसभा में लंबित रहा।

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विधेयक को संसदीय मंजूरी नहीं मिलने के चलते नया अध्यादेश जारी किया गया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले हफ्ते अध्यादेश को फिर से जारी करने की स्वीकृति दी थी।

दुरुपयोग के डर को कम करने जोड़े गए कुछ उपाय

प्रस्तावित कानून के दुरुपयोग के डर को कम करने के लिए सरकार ने इसमें कुछ निश्चित सुरक्षा उपाय शामिल किए जैसे कि मुकदमे से पहले आरोपी की जमानत के प्रावधान को इसमें जोड़ा गया। कैबिनेट ने इन संशोधनों को 29 अगस्त, 2018 को मंजूरी दे दी थी।

मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार

अध्यादेश इसे भले ही एक “गैर जमानती” अपराध बनाता है लेकिन एक आरोपी मुकदमे से पहले ही जमानत के लिए मजिस्ट्रेट के पास जा सकता है। एक गैर जमानती अपराध में जमानत सीधे पुलिस या पुलिस थाने से नहीं मिल सकती।

क्यों लाना पड़ा अध्यादेश

लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा में यह बिल रोक दिया गया था, जिसकी वजह से तीन तलाक विरोधी बिल ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' पारित नहीं हो पाने की वजह से मोदी सरकार को दोबारा से यह अध्यादेश लाना पड़ा है। मोदी सरकार ने पिछले सत्र में तीन तलाक विरोधी बिल को पास कराकर मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक से आजादी दिलाने का बीड़ा उठाया था, लेकिन सफल नहीं हो पाई थी। आपको बता दें कि लोकसभा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में बिल को पास कराने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है।

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TAGS: government, re-promulgated, ordinance, banning, practice of instant triple talaq.
OUTLOOK 13 January, 2019
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