लोकपाल के 16 दावेदारों में सुप्रीम कोर्ट के तीन जज भी शामिल
सुभाष अग्रवाल की याचिका पर सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव के आदेश के बाद कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने उक्त आशय की सूची जारी की है। इसमें बताया गया है कि कि उच्चतम न्यायालय ने न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा, न्यायमूर्ति सी के प्रसाद और न्यायमूर्ति बलवीर सिंह चौहान को इस पद के लिए नामित किया था जो अब सेवानिवृत हो चुके हैं। सूची के मुताबिक इनके अलावा झारखंड उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम करपागा विनागम, यूजीसी के पूर्व सदस्य और पूर्व सूचना आयुक्त एम एम अंसारी, सूचना आयुक्त श्रीधर आर्चायुलु भी उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने इस पद के लिए सीधे आवेदन किया है।
आवेदन करने वालों में शिक्षक अरूण गणेश जोगदेव, सामाजिक कार्यकर्ता चंद्र भूषण मिश्रा और सी वेंकटेश्वर नाना राव भी शामिल हैं। लोकपाल पद के लिए आवेदन करने वालों में पत्रकार गुलशन कुमार बाजवा, वकील विनय भूषण भाटिया, इस्पात कंपनी के कर्मचारी अंजनी कुमार, पेशेवर एवं आध्यात्मिक क्षेत्र से जुड़े मेघा राम प्रजापति, सेवानिवृत आईएएस राम सजीवन, पूर्व आईपीएस के नंदाबालन, कंपीटिटिव के दीपक कुमार समेत अन्य आवेदनकर्ता शामिल हैं। सूचना आयुक्त के आदेश बाद कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने जो जानकारी दी है उसके तहत राम सजीवन का आवेदन समयसीमा समाप्त होने के बाद प्राप्त हुआ था इसलिए इसे मध्यप्रदेश सरकार को भेज दिया गया।
डीओपीटी के विज्ञापन में लोकपाल में विभिन्न पदों के लिए आवेदकों के नाम का खुलासा करने का निर्देश देते हुए सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने कहा था कि खुलासे से चयन प्रक्रिया के बारे में पारदर्शिता एवं जनता का विश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा था, जब ऐसे संवेदनशील पद के लिए आवेदन करने वालों के नाम सार्वजनिक किये जाएंगे तब लोग चयन समिति के समक्ष कई तथ्य ला सकेंगे। उन्होंने कहा कि इससे चयन प्रक्रिया के बारे में लोगों के विश्वास में वृद्धि होगी। इसके अलावा यह जरूरी है कि सम्पूर्ण चयन प्रक्रिया पारदर्शी हो। डीओपीट ने 17 जनवरी 2014 को भ्रष्टाचार निरोध निकाय लोकपाल के अध्यक्ष के एक पद के अलावा आठ अन्य पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे, जिनमें चार न्यायिक और चार अन्य सदस्यों के पद शामिल हैं।