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31 December 2019

कोटा के अस्पताल में एक महीने में 91 बच्चों की मौत, बाल संरक्षण आयोग का सरकार को नोटिस

कोटा स्थित जे के लोन अस्पताल में पिछले पांच दिन में 14 और शिशुओं की मौत होने से मृतक शिशुओं की संख्या इस महीने बढ़कर 91 हो गई है। इस बीच राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने बच्चों की मौत के मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। वहीं भाजपा ने प्रदेश सरकार पर बच्चों के इलाज की समुचित व्यवस्था करने का आरोप लगाया है।

अस्पताल के नवनियुक्त अधीक्षक सुरेश दुलारा ने कहा, ‘‘अस्पताल की एनआईसीयू और पीआईसीयू इकाइयों में 25 दिसंबर से 29 दिसंबर के बीच छह नवजात समेत 14 शिशुओं की मौत हुई।’’ उन्होंने बताया कि 24 दिसंबर तक 77 शिशुओं की यहां मौत हुई थी और इनमें से 10 शिशुओं की मौत 23 दिसंबर और 24 दिसंबर को 48 घंटे के भीतर हुई थी।”

बाल रोग विभाग के प्रमुख ने कहा कि वह 25 दिसंबर तक 77 शिशुओं की मौत के पीछे की वजहों का विश्लेषण कर रहे हैं। बाद में जिन 14 शिशुओं की मौत हुई, उनमें से चार की मौत गंभीर निमोनिया, एक की मौत मेनिंगोएनसेफेलाइटिस, 4 की मौत जन्मजात निमोनिया, 3 की मौत सेप्सिस और 1 की मौत सांस संबंधी बीमारी के कारण हुई। राजस्थान के चिकित्सा शिक्षा विभाग सचिव वैभव गैलरिया ने कहा है कि पिछले दिनों कोटा के जे के लोन अस्पताल में 10 शिशुओं की मौत के संबंध में जांच दल 48 घंटे में अपनी रिपोर्ट देगा जिसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गठित डॉ. अमरजीत मेहता, डॉ. रामबाबू शर्मा और डॉ. सुनील भटनागर का जांच दल 48 घंटें में अपनी रिपोर्ट देगा और उसके आधार पर लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई की जायेगी।

एनसीपीसीआर ने सरकार को जारी किया नोटिस

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने बच्चों की मौत के मामले में राज्य सरकार को एक नोटिस जारी किया है। एनसीपीसीआर ने इस मामले में प्रदेश सरकार से तीन दिन में जवाब देने के लिए कहा है। इसके अलावा आयोग ने कोटा के सीएमओ बीएस तंवर को इस मामले पर जवाब देने के लिए 3 जनवरी को आयोग के दफ्तर में तलब किया है।

राजनीति जारी, भाजपा ने बनाई जांच के लिए समिति

इस बीच भाजपा ने शिशुओं की मौत के लिए राजस्थान में कांग्रेस सरकार को निशाना बनाया है और भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने इस मामले की जांच के लिए अपने चार सांसदों की एक समिति बनाई है। इस पैनल में लोकसभा सदस्य जसकौर मीणा, लॉकेट चटर्जी और भारती पवार तथा राज्यसभा सदस्य कांता कर्दम शामिल हैं। पैनल से तीन दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।

केन्द्र को भेजेंगे रिपोर्ट

भाजपा नेताओं और पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों राजेंद्र सिंह राठौड़ और कालीचरण सराफ ने सोमवार को अस्पताल का दौरा किया। उन्होंने कहा कि वे केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट भेजकर शिशुओं की मौत के पीछे के कारण के बारे में विस्तार से बताएंगे और भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं रोकने एवं अस्पताल में सुविधाओं में सुधार करने संबंधी सिफारिश करेंगे। उन्होंने अशोक गहलोत सरकार द्वारा यह तर्क देकर अपना बचाव करने की निंदा की कि इस प्रकार की मौत की संख्या भाजपा के शासनकाल की तुलना में कम हैं।

इस साल 940 मौतें

यह अस्पताल बच्चों की मौत के लिए हमेशा से चर्चा में रहा है। साल 2014 में यहां पर 1198 बच्चों ने दम तोड़ा, 2015 में 1260 की मौत हुई, 2016 में 1193 बच्चों ने आखिरी सांस ली, 2017 में 1027, 2018 में 1005 और अब 2019 में अब तक 940 बच्चे की मृत्यु हुई।

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TAGS: Toll climbs to 91, Kota hospital, 14 more children die, NCPCR, issues notice
OUTLOOK 31 December, 2019
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