'5 स्टार होटलों में बैठे लोग प्रदूषण का दोष किसानों पर मढ़ रहे...'- सुप्रीम कोर्ट; CJI- टीवी डिबेट्स सबसे ज्यादा खतरनाक, सभी का अपना एजेंडा
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में दमघोंटू प्रदूषण को लेकर बुधवार को कई तल्ख टिप्पणियां कीं। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को कड़ी फटकार लगाई। प्रदूषण रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने में नाकामी को लेकर कोर्ट ने न सिर्फ सरकारों और नौकरशाहों की खिंचाई की बल्कि उन आलोचकों पर भी कड़ी टिप्पणी की जो फाइव स्टार होटलों में बैठकर पराली जलाने को प्रदूषण का जिम्मेदार बताते हैं। कोर्ट ने टीवी डिबेट्स को हर तरह के प्रदूषण से ज्यादा खतरनाक बताया।
सीजेआई एनवी रमण की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि सरकार को किसानों को पराली जलाना बंद करने के लिए मनाना चाहिए। सीजेआई ने कहा, 'हम किसानों को दंडित करना नहीं चाहते। हम पहले ही केंद्र से कह चुके हैं कि कम से कम एक हफ्ते तक किसानों को पराली जलाना बंद करने के लिए मनाया जाए।' कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के 5 स्टार होटलों में बैठकर लोग किसानों पर प्रदूषण का ठीकरा फोड़ रहे हैं।
केंद्र ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदुषण कम करने के लिए आवश्यक सामानों को लाने वाले वाहनों के अलावा सभी ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने, स्कूलों को बंद करने और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के कार्यालयों में 50 प्रतिशत उपस्थिति समेत कई उपायों का बुधवार को उच्चतम न्यायालय में सुझाव दिया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिवों की एक बैठक मंगलवार को हुई। पीठ में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल रहे।
मेहता ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार के अधिकारियों के लिए घर से काम करने के मुद्दे पर विचार किया गया लेकिन केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कुल वाहन ज्यादा नहीं हैं इसलिए घर से काम करने के बजाय हमने पूलिंग और वाहनों को साझा करने के लिए परामर्श जारी किया है। केंद्र ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के कार्यालयों में 50 प्रतिशत उपस्थिति का भी सुझाव दिया। अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बुधवार सुबह वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में दर्ज की गयी और रविवार तक इसमें सुधार की संभावना नहीं है।