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27 August 2016

विश्वविद्यालयों को खुली अभिव्यक्ति और वाद-विवाद का केंद्र होना चाहिए: राष्ट्रपति

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नालंदा विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि यह विश्वविद्यालय उस विचार और संस्कृति को दर्शाता है जो 13वीं सदी में नष्ट होने से पहले के 1200 साल तक फलती-फूलती रही। उन्होंने कहा कि इन वर्षों में भारत ने उच्च शिक्षा संस्थाओं के जरिये मैत्री, सहयोग, वाद-विवाद और परिचर्चाओं के संदेश दिए हैं। मुखर्जी ने कहा, डॉ. अमर्त्य सेन ने अपनी किताब दि आरग्यूमेंटेटिव इंडियन में सही लिखा है कि वाद-विवाद और परिचर्चा भारतीय जीवन का स्वभाव और इसका हिस्सा है जिससे दूरी नहीं बनाई जा सकती। उन्होंने कहा, विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा संस्थान वाद-विवाद, परिचर्चा, विचारों के निर्बाध आदान-प्रदान के सर्वोत्तम मंच हैं। ऐसे माहौल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

मुखर्जी ने कहा कि आधुनिक नालंदा को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी परिसीमा में इस महान परंपरा को नया जीवन और नया ओज मिले। नालंदा विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक महत्व का जिक्र करते हुए प्रणब ने कहा कि यह भारतीय, फारसी, यूनानी और चीनी संस्कृतियों का मिलन-स्थल था। उन्होंने कहा, प्राचीन नालंदा वाद-विवाद एवं परिचर्चा के उच्च-स्तर के लिए जाना जाता था। यूं तो अध्ययन के मुख्य विषय बौद्ध ग्रंथ थे, लेकिन विभिन्न स्कूलों, वेद अध्ययन एवं अन्य द्वारा बौद्ध धर्म की आलोचना को भी अहमियत दी गई। राष्ट्रपति ने कहा, विश्वविद्यालयों को खुले भाषण एवं अभिव्यक्ति का केंद्र होना चाहिए। इसे ऐसा अखाड़ा होना चाहिए जहां विविध एवं विपरीत विचारों में मुकाबला हो। इस संस्था के दायरे में असहनशीलता, पूर्वाग्रह एवं घृणा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। और तो और, इसे बहुत सारे नजरियों, विचारों और दर्शनों के सह-अस्तित्व के ध्वजवाहक का काम करना चाहिए।

राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय से पास होने वाले छात्रों से कहा कि वे दिमाग की सभी संकीर्णता और संकुचित सोच को पीछे छोड़कर जीवन में प्रगति करें। राष्ट्रपति ने समारोह में दो छात्रों को गोल्ड मेडल और 12 पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों को डिग्रियां दीं। उन्होंने राजगीर में 455 एकड़ में फैले इस विश्वविद्यालय के स्थायी परिसर की आधारशिला भी रखी। हरित प्रौद्योगिकी से इस विश्वविद्यालय परिसर का निर्माण किया जाएगा। प्रणब ने कहा, मैं समझता हूं कि नांलदा विश्वविद्यालय नेट जीरो उर्जा, जीरो उत्सर्जन, जीरो पानी और जीरो कचरा परिसर बनने के लिए प्रयासरत है, जो भारत में ऐसा पहला परिसर होगा। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष विश्वविद्यालय के नए परिसर के पास ही स्थित हैं।अभी इस विश्वविद्यालय की कक्षाएं राजगीर बस पड़ाव के पास एक अस्थायी परिसर में चलाई जा रही हैं। इस विश्वविद्यालय में अभी स्कूल ऑफ हिस्टॉरिकल स्टडीज, स्कूल ऑफ इकोलॉजी एंड एन्वायरमेंट स्टडीज और स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज, फिलॉसोफी एंड कम्पैरेटिव रिलीजन्स संचालित किए जा रहे हैं।

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OUTLOOK 27 August, 2016
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