उत्तराखंड: जारी रहेगा राष्ट्रपति शासन, कोर्ट ने केंद्र से पूछे 7 सवाल
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाने के नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र की याचिका पर आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सात सवालों का जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई के लिए 3 मई की तारीख तय की है। अब अगली सुनवाई पर केंद्र सरकार को इन सवालों का जवाब देना है। माना जा रहा है कि केंद्र के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाता है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन पर स्थिति साफ हो जाएगी। साथ ही अदालत ने यह भी साफ कर दिया कि अगली सुनवाई यानी 3 मई तक नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर स्थगन जारी रहेगा। इसका मतलब हुआ कि अगली सुनवाई तक राज्य में राष्ट्रपति शासन जारी रहेगा और 29 अप्रैल को शक्ति परिक्षण नहीं होगा।
न्यायालय ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने से जुड़े अपने एक सवाल में केंद्र से पूछा, क्या राज्यपाल सदन में शक्ति परीक्षण के लिए अनुच्छेद 175 (2) के तहत मौजूदा तरीके से संदेश भेज सकते हैं। इसके अलावा जिन छह और सवालों के जवाब कोर्ट ने केंद्र से मांगा है वह हैं,
1. क्या अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने के उद्देश्यों के लिए विधानसभा अध्यक्ष की तरफ
से विधायकों को अयोग्य ठहराया जाना प्रासंगिक मुद्दा है।
2. न्यायालय ने यह भी सवाल किया कि क्या राष्ट्रपति केंद्रीय शासन लगाने के लिए विधानसभा की कार्यवाही पर गौर कर सकते हैं।
3.उच्चतम न्यायालय ने इस सवाल का जवाब मांगा कि विनियोग विधेयक के संबंध में कब राष्ट्रपति की भूमिका की जरूरत होती है।
4. न्यायालय ने पूछा, क्या सदन में शक्ति परीक्षण में विलंब राष्ट्रपति शासन लगाने का एक आधार है।
5. सदन में शक्ति परिक्षण में देरी होना क्या राष्ट्रपति शासन का आधार बनता है?.
6. कुछ स्थायी मान्यताओं पर लोकतंत्र आधारित होता है, क्या है उसके अस्थिर होने का मानक?
केंद्र की याचिका पर पिछली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल तक उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन बरकरार रखा था। कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के राष्ट्रपति शासन हटाने के आदेश पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट को लिखित आदेश देने के निर्देश दिए थे। राज्य के बागी कांग्रेस विधायकों की याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट में आज ही सुनवाई होनी है। मामले में कोर्ट ने पूर्व सीएम हरीश रावत और स्पीकर को नोटिस जारी किया था।