Advertisement
06 December 2020

जुनून: सेना में भर्ती के लिए बना वकील, 9 साल तक लड़ी लड़ाई

उत्तराखंड में एक युवक पर वायु सेना में भर्ती होने का इतना शौक छाया कि युवक इसके लिये उच्च न्यायालय की दहलीज तक पहुंच गया और न्यायालय में वकालत कर बैठा लेकिन अफसोस युवक को सफलता हाथ नहीं लगी।

मामला हल्द्वानी के लोहरियासाल, ऊंचापुल के रहने वाले विक्रम सिंह (26) का है। दरअसल, विक्रम सिंह ने सन 2009 में हाईस्कूल व 2011 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। इसके बाद युवक पर वायु सेना में भर्ती होने का शौक चढ़ा लेकिन इसके लिये उसके पास वांछित 60 प्रतिशत अंक नहीं थे। इसके बावजूद युवक ने हार नहीं मानी।

उसने पुनर्मूल्यांकन के लिये रामनगर स्थित उत्तराखंड बोर्ड से अपनी इंटरमीडिएट की उत्तर पुस्तिका मांग ली। इसके लिये उसे सबसे पहले नियमोें से दो चार होना पड़ा और अंततः बोर्ड ने नियमों व विलंब का हवाला देते हुए युवक को उत्तर पुस्तिका उपलब्ध नहीं करवाई। इस दौरान युवक ने सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 का इस्तेताल भी किया।

Advertisement

युवक का हौसला यहीं जवाब नहीं दिया। उसने बोर्ड के कदम को नैनीताल स्थित उच्च न्यायालय में चुनौती दे डाली। एक बार नहीं दो-दो बार लेकिन एकलपीठ ने नियमों के मुताबिक हुए विलंब व बोर्ड के अधिवक्ता के जवाब का हवाला देते हुए याचिका को खारिज कर दिया। युवक यही नहीं रूका और उसने एकलपीठ के फैसले को विशेष याचिका के माध्यम से चुनौती दे डाली।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ की अगुवाई वाली पीठ में वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस प्रकरण पर आज शनिवार को सुनवाई हुई। युवक की ओर से दर्ज याचिका में कहा गया कि वह वायु सेना में भर्ती होना चाहता है और उसके पास वांछित 60 प्रतिशत अंक नहीं हैं और उसे उम्मीद है कि उत्तर पुस्तिका के पुनर्मूंल्यांकन करने पर वांछित नंबर मिल जायेंगे और उसका सपना साकार हो सकेगा लेकिन अदालत ने पूछा कि वह नौ साल बाद क्यों जागे। युवक ने कहा कि बोर्ड उसे उत्तर पुस्तिका उपलब्ध नहीं करा रहा है। जो कि गलत है और एकपलीठ ने भी उसके मामले में तथ्यों की अनदेखी की है।
बोर्ड के अधिवक्ता की ओर से नियमों का हवाला देकर कहा गया कि अधिक विलंब के चलते याचिकाकर्ता को उत्तर पुस्तिका उपलब्ध नहीं करायी जा सकती है। परीक्षाफल घोषित होने के छह माह के भीतर उत्तर पुस्तिका प्रदान करने का प्रावधान है। युवक ने कई सालों बाद इसके लिये आवेदन किया है।

इसके बाद भी अदालत का रूख याचिकाकर्ता के प्रति रहा और कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की ओर से बोर्ड के अधिवक्ता से इस मामले की संभावना को बार बार टटोला गया लेकिन बोर्ड के अधिवक्ता ने कहा कि नौ साल बाद यह संभव नहीं है और बोर्ड के पास पुराने रिकाॅर्ड उपलब्ध नहीं हैं। बोर्ड ने पुराना रिकाॅर्ड नष्ट कर दिया है। सहानुभूति के बावजूद अदालत ने याचिकाकर्ता की अपील को खारिज कर दिया। इस प्रकरण की खास बात यह रही कि युवक अपना वकील खुद रहा और अदालत के सामने अपनी पैरवी जोरदार तरीके से की।

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: भारतीय वायु सेना, अधिवक्ता, हल्द्वानी, एयर फोर्स, Uttrakhand, lawyer, Indian Air Force, उत्तराखंड
OUTLOOK 06 December, 2020
Advertisement