विहिप के निशाने पर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी
नयी दिल्ली। मुसलमानों की बेहतरी के लिए सकारात्मक कार्रवाई किये जाने संबंधी उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी की टिप्पणी के लिए विश्व हिंदू परिषद ने उनकी आलोचना करते हुए मंगलवार को उनपर आरोप लगाया कि यह राजनीतिक एवं सांप्रदायिक बयान है जो उप राष्ट्रपति के पद की गरिमा के अनुकूल नहीं है। विहिप ने मांग की है कि अंसारी या तो माफी मांगें या फिर इस्तीफा दें।
हिंदुत्ववादी संगठन की ओर से कहा गया कि इस तरह की मांग मुस्लिमों को असंतोष के ऐसे अंधकार में धकेलने के बराबर होगी जिसके खतरनाक परिणाम होंगे। विहिप के संयुक्त महासचिव सुरेन्द्र जैन ने कहा कि उप राष्ट्रपति पद का सम्मान करते हुए विहिप इस तरह के सांप्रदायिक बयान की निंदा करता है। यह एक राजनीतिक बयान है जो उप राष्ट्रपति के पद की गरिमा के विरुद्ध है। जैन ने कहा कि कई मुस्लिम देशों की तुलना में भारतीय मुसलमानों के पास कहीं ज्यादा संवैधानिक अधिकार हैं। जैन ने यह भी दावा किया कि कई वर्षों से उनका अलग-अलग तरीकों से तुष्टिकरण किया जाता रहा है। जैन ने जोर देकर कहा कि उप राष्टपति के पद को पूरा सम्मान देते हुए विहिप अंसारी के सांप्रदायिक बयान की निन्दा करती है। यह एक मुस्लिम राजनेता ने बयान दिया और इस तरह का बयान उप राष्टपति पद के व्यक्ति को शोभा नहीं देता। अंसारी या तो माफी मांगें या फिर इस्तीफा दें। उन्होंने कहा कि अंसारी उप राष्टपति पद से इस्तीफा देकर सक्रिय राजनीति में शामिल हो जाएं।
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी 31 अगस्त को मुस्लिम संगठनों के शीर्ष फोरम आल इंडिया मजलिस ए मुशावरात के स्वर्ण जयंती समारोह में बोल रहे थे। समारोह में अंसारी ने कहा था कि सुरक्षा मुहैया कराने में असफलता सहित भेदभाव और बाहर रखे जाने को सरकार को यथाशीघ्र दुरूस्त करना होगा तथा इसके लिए समुचित व्यवस्था विकसित करनी होगी। साथ ही कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा था कि सामाजिक शांति के लिए राजनीतिक दूरदर्शिता जरूरी है। धर्मनिरपेक्ष राजनीति के तहत रह रहे अधिकांश मुस्लिम अल्पसंख्यकों का भारत का अनुभव अन्य के लिए अनुसरण का मॉडल होना चाहिए। देश की 14 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए सच्चर समिति की रिपोर्ट के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए बनी कुंडू रिपोर्ट पिछले साल सितंबर में सौंपी गयी थी। इसमें जोर देकर कहा गया है कि मुस्लिम अल्पसंख्यकों का विकास सुरक्षा की भावना के सुदृढ आधार पर टिका होना चाहिए।
गौरतलब है कि केंद्र में भाजपा की सरकार के आने के बाद से उपराष्ट्रपति को कई बार निशाना बनाने का प्रयास हो चुका है। कुछ महिने पहले भी उपराष्ट्रपति को एक गैरजरुरी विवाद में इसी प्रकार की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।