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01 October 2015

विश्व भारती के कुलपति ने दिया इस्तीफा

गूगल

नई दिल्ली। प्रशासनिक एवं वित्तीय गड़बडि़यों के आरोपों का सामना कर रहे शांति निकेतन के विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुलपति सुशांत दत्तागुप्ता ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। गुप्ता ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को ईमेल से अपना इस्तीफा भेजा है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि उन्हें राष्ट्रपति सचिवालय से गुप्ता का इस्तीफा मिल गया है लेकिन उन्होंने कुलपति से लिखित में इस्तीफा भेजने को कहा है क्योंकि सरकारी स्तर पर ईमेल से पत्राचार मान्य नहीं है। इससे पहले गुप्ता को भेजे गए कारण बताओ नोटिस पर उनके जवाब से असंतुष्ट रहने पर मंत्रालय ने पिछले हफ्ते राष्ट्रपति से 68 साल के दत्तागुप्ता को हटाने की सिफारिश की थी। जिसपर राष्ट्रपति ने 23 सितंबर को मंत्रालय को फाइल लौटाते हुए दत्तागुप्ता को बर्खास्त करने की सिफारिश कर दी थी और मंत्रालय से कोई भी फैसला लेने से पहले कानूनी राय लेने को कहा था।

दरअसल मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित एक तीन सदस्यीय समिति ने इस साल फरवरी में दत्तागुप्ता को वित्तीय अनियमितताओं का कथित रूप से दोषी पाया था। इस समिति का नेतृत्व इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) एस एस यादव ने किया था।

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मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जांच में दत्तागुप्ता के वित्तीय और प्रशासनिक गड़बडि़यों का दोषी पाने के बाद उन्हें कारण बताओ नोटीस जारी किया था। दत्तागुप्ता पर विश्व भारती विश्वविद्यालय से वेतन के साथ ही जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से पेंशन भी लेने का आरोप है जो कि कानून का कथित उल्लंघन है। नियम के तहत दत्तागुप्ता को विश्व भारती से मिलने वाले वेतन से अपने पेंशन की राशि कटवानी चाहिए थी। इसके अलावा दत्तागुप्ता पर अधिकार ना होने के बावजूद अनियमित नियुक्तियां करने का भी आरोप है जिनमें परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति शामिल है। उन्होंने विश्व भारती विश्वविद्यालय अधिनियम का उल्लंघन करते हुए महत्वपूर्ण पदों को मंजूरी दी थी।

हालांकि विश्वविद्यालय संबंधी वर्तमान कानूनों में कुलपति को बर्खास्त करने का प्रावधान नहीं है, उन्हें हटाने के लिए राष्ट्रपति सामान्य नियम अधिनियम, 1987 की धारा 16 लागू कर सकते हैं। यह अधिनियम नियुक्ति करने वाले प्राधिकरण को किसी केंद्रीय अधिनियम या नियम के तहत नियुक्त हुए किसी भी व्यक्ति को निलंबित या बर्खास्त करने का अधिकार देता है।

दत्तागुप्ता के खिलाफ कारर्वाई के लिए पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य प्रदीप भट्टाचार्य ने भी राष्ट्रपति से मिलकर शिकायत की थी। भट्टाचार्य ने जून में राष्ट्रपति से मिलकर कुलपति को हटाने की मांग करते हुए कहा था कि दत्तागुप्ता के नेतृत्व में विश्वविद्यालय अपना गौरव खो रहा है।

 

 

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TAGS: पश्चिम बंगाल, शांति निकेतन, विश्व भारती विश्वविद्यालय, कुलपति, प्रणब मुखर्जी, सुशांत दत्तागुप्ता, प्रदीप भट्टाचार्य, इस्तीफा, West Bengal, Shanti Niketan, Vishwa Bharti University, VC, Pranab Mukherjee, Sushant Dattagupta, Pradip Bhattacharya, Resignation
OUTLOOK 01 October, 2015
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