पीएम मोदी बोले- दूर रखा वीआईपी कल्चर, अमीरों को भी आम आदमी की तरह लगा टीका
कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में भारत लगातार ताकतवर होता जा रहा है। महज 9 महीने में ही देश में 1 अरब से ज्यादा कोरोना टीकों का लक्ष्य हासिल हुआ है। इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी आज देश को संबोधित किया। देश को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि 100 करोड़ टीके लगना हमारे लिए आंकड़ा नहीं है बल्कि सामर्थ्य का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश बड़े लक्ष्य तय करना और उसे हासिल करना बखूबी जानता है लेकिन इसके लिए हमें सतत सावधान रहने की जरूरत है। हमें अपने त्योहारों को पूरी सतर्कता के साथ ही मनाना है।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश ने एक तरफ कर्तव्य का पालन किया तो दूसरी तरफ उसे बड़ी सफलता भी मिली। भारत ने कल 100 करोड़ वैक्सीन डोज़ का कठिन लेकिन असाधारण लक्ष्य प्राप्त किया। इस उपलब्धि के पीछे 130 करोड़ देशवासियों की कर्तव्यशक्ति लगी है इसलिए ये सफलता हर देशवासी की सफलता है। उन्होंने कहा कि क्या भारत इतने लोगों को टीका लगा पाएगा कि महामारी को फैलने से रोक सके? भांति-भांति के सवाल थे, लेकिन आज ये 100 करोड़ वैक्सीन डोज़, हर सवाल का जवाब दे रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब 100 साल की सबसे बड़ी महामारी आई, तो भारत पर सवाल उठने लगे। क्या भारत इस वैश्विक महामारी से लड़ पाएगा? भारत दूसरे देशों से इतनी वैक्सीन खरीदने का पैसा कहां से लाएगा? भारत को वैक्सीन कब मिलेगी? सबको साथ लेकर देश ने ‘सबको वैक्सीन-मुफ़्त वैक्सीन’ का अभियान शुरू किया। गरीब-अमीर, गांव-शहर, दूर-सुदूर, देश का एक ही मंत्र रहा कि अगर बीमारी भेदभाव नहीं नहीं करती तो वैक्सीन में भी भेदभाव नहीं हो सकता! इसलिए ये सुनिश्चित किया गया कि वैक्सीनेशन अभियान पर वीआईपी कल्चर हावी न हो।
उन्होंने कहा कि 100 करोड़ वैक्सीन डोज़ का एक प्रभाव ये भी होगा कि अब दुनिया भारत को कोरोना से ज़्यादा सुरक्षित मानेगी। एक फॉर्मा हब के रूप में भारत को जो स्वीकृति मिली है उसे और मज़बूती मिलेगी। पूरा विश्व आज भारत की इस ताकत को देख रहा है और महसूस कर रहा है। पीएम ने कहा कि भारत का पूरा वैक्सीनेशन प्रोग्राम विज्ञान की कोख में जन्मा है, वैज्ञानिक आधारों पर पनपा है और वैज्ञानिक तरीकों से चारों दिशाओं में पहुंचा है।
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि आज कई लोग भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम की तुलना दुनिया के दूसरे देशों से कर रहे हैं। भारत ने जिस तेजी से 100 करोड़ का, 1 बिलियन का आंकड़ा पार किया, उसकी सराहना भी हो रही है। लेकिन, इस विश्लेषण में एक बात अक्सर छूट जाती है कि हमने ये शुरुआत कहां से की। दुनिया के दूसरे बड़े देशों के लिए वैक्सीन पर रिसर्च करना, वैक्सीन खोजना, इसमें दशकों से उनकी एक्सपर्टाइज थी। भारत, अधिकतर इन देशों की बनाई वैक्सीन्स पर ही निर्भर रहता था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन में कहा कि हमारे देश ने एक तरफ कर्तव्य का पालन किया, तो दूसरी तरफ उसे सफलता भी मिली. कल भारत ने 100 करोड़ वैक्सीन डोज का कठिन लेकिन असाधारण लक्ष्य प्राप्त किया है। 100 करोड़ वैक्सीन डोज केवल एक आंकड़ा ही नहीं, ये देश के सामर्थ्य का प्रतिबिंब भी है। इतिहास के नए अध्याय की रचना है। ये उस नए भारत की तस्वीर है, जो कठिन लक्ष्य निर्धारित कर, उन्हें हासिल करना जानता है।
उन्होंने कहा कि देश में वैक्सीनेशन के 100 करोड़ का आंकड़ा पार करना एक असाधारण लक्ष्य है। इसके लिए पूरे देश की सराहना हो रही है। भारत के वैक्सीन अभियान की तुलना दुनिया के किसी भी देश से नहीं हो सकती।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर मेरे देश की वैक्सीन मुझे सुरक्षा दे सकती है तो मेरे देश का उत्पादक, मेरे देश में बने सामान, मेरी दिवाली और भी भव्य बना सकते हैं। हमें हर छोटी से छोटी चीज जो मेड इन इंडिया हो, जिसे बनाने में किसी भारतवासी का पसीना बहा हो, उसे खरीदने पर जोर देना चाहिए और ये सबके प्रयास से ही संभव होगा।
इससे पहले देश के नाम अपने संबोधन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने ट्विटर अकाउंट की डीपी बदल दी। नई डीपी इमेज में पीएम मोदी ने 100 करोड़ वैक्सीनेशन के रिकॉर्ड को दर्शाया है। डीपी में 100 करोड़ टीकाकरण का आंकड़ा छूने को लेकर देशवासियों को बधाई दी है।