प्रधानमंत्री मोदी ने अपने नेपाली समकक्ष प्रचंड से की वार्ता, बोले- हम अपने रिश्तों को हिमालय जितनी ऊंचाई देने के लिए काम करते रहेंगे
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की यात्रा पर आए अपने नेपाली समकक्ष पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचंड’ से बृहस्पतिवार को ऊर्जा, संपर्क और व्यापार सहित कई क्षेत्रों में भारत-नेपाल सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित व्यापक वार्ता की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को अपने नेपाली समकक्ष पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचंड’ के साथ व्यापक वार्ता के बाद कहा कि भारत और नेपाल अपने द्विपक्षीय संबंधों को हिमालयी ऊंचाइयों पर ले जाने और सीमा मुद्दे सहित सभी मामलों को इसी भावना के साथ हल करने का प्रयास करेंगे।
बैठक के बाद मीडिया को दिए बयान में मोदी ने कहा कि उन्होंने और प्रचंड ने भविष्य में दोनों देशों के बीच साझेदारी को ‘सुपर हिट’ बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं।
वार्ता के बाद मोदी और प्रचंड ने संयुक्त रूप से कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की शुरुआत की। दोनों पक्षों ने व्यापार और ऊर्जा सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए सात समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए।
दोनों नेताओं ने भारत के रुपईडीहा और नेपाल के नेपालगंज में एकीकृत जांच चौकियों का डिजिटल माध्यम से उद्घाटन किया। उन्होंने बिहार के बथनाहा से नेपाल कस्टम यार्ड के लिए एक मालवाहक रेलगाड़ी को भी हरी झंडी दिखाई।
प्रचंड की मौजूदगी में मोदी ने कहा, ‘‘हम अपने संबंधों को हिमालय की ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास जारी रखेंगे। और इसी भावना के साथ हम सभी मुद्दों का समाधान करेंगे, चाहे वह सीमा से जुड़ा हो या कोई अन्य मुद्दा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत और नेपाल के धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध बहुत पुराने और मजबूत हैं। इस सुन्दर कड़ी को और मजबूती देने के लिए प्रधानमंत्री प्रचंड और मैंने निश्चय किया है कि रामायण सर्किट से संबंधित परियोजनाओं में तेजी लाई जानी चाहिए।’’
नेपाल, क्षेत्र में अपने समग्र रणनीतिक हितों के संदर्भ में भारत के लिए महत्वपूर्ण है और दोनों देशों के नेताओं ने अक्सर सदियों पुराने ‘रोटी-बेटी’ संबंधों पर ध्यान दिया है। यह दोनों देशों के लोगों के बीच ब्याह शादी के रिश्तों को संदर्भित करता है।
नेपाल पांच भारतीय राज्यों - सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ 1,850 किलोमीटर से अधिक सीमा साझा करता है। चारों ओर से जमीन से घिरा नेपाल वस्तुओं और सेवाओं के परिवहन के लिए भारत पर बहुत अधिक निर्भर करता है।
समुद्र तक नेपाल की पहुंच भारत के माध्यम से है और वह भारत से तथा उससे होते हुए अपनी आवश्यकताओं का एक प्रमुख अनुपात आयात करता है। साल 1950 की भारत-नेपाल शांति और मैत्री संधि दोनों देशों के बीच विशेष संबंधों का आधार है।