Advertisement
21 December 2017

कौन है 2G केस में फैसला सुनाने वाले जज, जिन्होंने पूरा दांव ही पलट दिया

ANI

2014 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के खिलाफ भाजपा या तत्कालीन विपक्ष ने भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाकर घेरने में कामयाबी पाई। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले को सबसे बड़ी लूट की संज्ञा दी गई। कहा तो यह भी जाता है कि तत्कालीन कांग्रेस या यूपीए सरकार के खिलाफ देशव्यापी माहौल तैयार करने में 2जी स्पैक्ट्रम मामला एक अहम हथियार साबित हुआ और लोकसभा के आमचुनाव में कांग्रेस को बुरी तरीके से हार का सामना करना पड़ा।

अब 2जी मामले में लंबी सुनवाई के बाद स्पेशल कोर्ट ने गुरूवार को अपना फैसला दिया है। इस फैसले के आने में 6 साल का वक्त लगा। लेकिन कोर्ट के फैसले ने पूरा नजारा ही बदल कर रख दिया। पहले जहां इस मसले पर कांग्रेस सवालों से घिरी रही, वहीं अब कांग्रेस हमलावर हो गई है।

दरअसल जस्टिस ओ पी सैनी की अगुवाई वाली स्पेशल कोर्ट ने ए राजा, द्रमुक सांसद कनिमोझी और अन्य लोगों को टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में बरी कर दिया।

Advertisement

कैग की एक रिपोर्ट के अनुसार 1 लाख 76 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था। मामले में ट्रायल की शुरुआत 2011 में हुई थी। कोर्ट ने सीबीआई के केस में 17 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे।

आइए उस जज के बारे में जानते हैं जिन्होंने इस प्रकरण की सुनवाई की और अपना फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जीएस सिंघवी और एके गांगुली की खंडपीठ ने सरकार को विशेष कोर्ट के गठन का आदेश दिया था। जिसके बाद दिल्ली सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त जज ओपी सैनी ने इस मामले को संभाला।

बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार जस्टिस सैनी ने अपने करियर की शुरुआत 1981 में दिल्ली पुलिस सब इंस्पेक्टर के रूप में की थी। 6 साल की पुलिस सर्विस के बाद ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट परीक्षा दी। उस साल चुने गए प्रतिभागियों में ओपी सैनी एकमात्र सफल उम्मीदवार थे।

जस्टिस सैनी ने ही कॉमनवेल्थ गेम्स से जुड़े मामलों की सुनवाई की थी। सैनी के फैसले ने सुरेश कलमाड़ी, ललित भनोट, वीके वर्मा, केयूके रेड्डी, प्रवीण बख्शी और देवरूख शेखर को सलाखों के पीछे पहुंचाया।

हरियाणा के रहने वाले सैनी ने सैनी को एक कठोर मिजाज का व्यक्ति माना जाता है। नवंबर 2011 में सैनी ने सबको चौंकाते हुए डीएमके प्रमुख करूणानिधि की बेटी कनिमोझी की याचिका ही खारिज कर दी। याचिका में कहा गया था कि कनिमोझी महिला हैं और पहले ही कई महीने जेल में काट चुकी हैं। सैनी ने दलील दी कि कनिमोझी एक प्रभावशाली राजनेता हैं और वे गवाहों की सुरक्षा को खतरे में नहीं डाल सकते।

बता दे कि 22 दिसंबर 2000 को हुए लाल किला आतंकी हमले के मुख्य आरोपी मोहम्मद आरिफ को जज ओपी सैनी ने फांसी की सजा दी, जबकि 6 अन्य को उम्र कैद की सजा सुनाई। सैनी ने अक्टूबर 2005 में आरिफ को मौत की सजा सुनाई। सैनी के इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी यथावत रखा।

सैनी को स्पेशल POTA जज के रूप में प्रसिद्धी मिली। जजसैनी ने ही रेड फोर्ट शूट आउट मामले में फैसला दिया था। इसमें सभी आरोपियों को फांसी की सजा दी गई थी।

 

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: judge, pronouncing, verdict, 2G case, changed the whole scene
OUTLOOK 21 December, 2017
Advertisement