भारत को जो भी दर्द देगा, उसे वैसा ही दर्द देना चाहिए: पर्रिकर
सेना प्रमुख जनरल दलवीर सिंह सुहाग समेत सेना के शीर्ष अधिकारियों एवं अन्य लोगों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि इतिहास हमें यह बताता है कि जो लोग नुकसान पहुंचाते हैं, जब तक उन्हें उस दर्द की अनुभूति नहीं होती, वे नहीं बदलते हैं। उन्होंने कहा, यह मेरा मत है, इसे सरकार की सोच के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए, मैं हमेशा से मानता हूं कि अगर कोई आपको नुकसान पहुंचाता है, तब वह उसी भाषा में समझता है।
सेना की ओर से आयोजित एक समारोह में पर्रिकर ने कहा, यह कैसे, कब और कहां हो, यह आपकी पसंद होनी चाहिए। कोई इस देश को नुकसान पहुंचाता है, तब उस व्यक्ति या संगठन, मैं व्यक्ति और संगठन शब्द का उपयोग कर रहा हू, उन्हें ऐसे कार्यों के लिए उसी तरह का दर्द दिया जाना चाहिए। इस बारे में विस्तार से बताने पर जोर देने पर पर्रिकर ने बाद में कहा, बुनियादी सिद्धांत यह है कि जब तक आप दूसरों को दर्द नहीं देंगे, चाहे वह कोई भी क्यों न हो, तब तक ऐसी घटनाएं कम नहीं होंगी।
पठानकोट हमले का जिक्र किये बिना मंत्री ने कहा कि जिन सात सैनिकों ने बलिदान दिया, उन पर देश को गर्व है लेकिन इस नुकसान से उन्हें दुख पहुंचा है। समय आ गया है कि जब हम अपने सैनिकों को बताएं कि ऐसा हो सकता है कि हमें कुछ सैनिकों का नुकसान हो। पर्रिकर ने कहा कि हमें उन्हें अब यह सोचने के लिए कहना चाहिए कि आप अपने शत्रु, अपने देश के शत्रुओं की जान लें, बजाए अपनी जान देने के। यह महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बलिदान का सम्मान किया जाना चाहिए, देश को जरूरत इस बात की है कि शत्रुओं को खत्म किया जाए। यह पूछे जाने पर कि क्या इसका अर्थ पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की नीति में बदलाव से है, रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर कोई आता है और हथौड़ा मारता है, तो क्या आप चुप रहेंगे? यह कैसी नीति है? उन्होंने कहा, मैं जो आपसे कह रहा हूं, वह यह है कि इतिहास हमें बताता है कि जो लोग आपको नुकसान पहुंचाते हैं, अगर उन्हें यह आभास नहीं होता कि इससे कैसा दर्द होता है तो वह नहीं बदलेंगे।