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22 April 2021

ऑक्सीजन के लिए कोविड मरीज शहर-दर-शहर भटक रहें, आखिर आपूर्ति में क्यों फेल हो रही है मोदी सरकार

प्रतीकात्मक तस्वीर

कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। अब मामले तीन लाख के पार दर्ज होने लगे हैं। बढ़ते मामलों के साथ एक तरफ सांसे थमने लगी है वहीं, राज्य-दर-राज्य अस्पतालों के हालात बदतर हो चले हैं। भोपाल से लेकर लखनऊ तक और रांची से लेकर महाराष्ट्र तक, हर जगह के हालात बुरे हो चले हैं। कोविड मरीजों को अस्पताल में बेड्स नहीं मिल रहे हैं, जिससे उनका इलाज हो सके। वहीं, जो अस्पताल में भर्ती हैं उन्हें ऑक्सीजन और वेंटीलेटर नहीं मिल पा रहे हैं। मानों, सांसे रूकने-रूकने को है। अस्पताल रेड अलार्म बजा रहे हैं कि उनके पास कुछ घंटों का ही ऑक्सीजन है। 

लखनऊ से कल खबर आई कि एक अस्पताल को अपने गेट के बाहर नोटिस चिपकाना पड़ा कि जो मरीज ऑक्सीजन पर निर्भर हैं और हालत गंभीर है उनके परीजन उन्हें अविलंब ले जाएं। वहीं, देश के प्रमुख अस्पतालों में से एक दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में मंगलवार की शाम को ऑक्सीजन की भीर कमी हो गई। अस्पताल के चेयरमैन डॉ. डीएस राणा को सामने आकर जानकारी देनी पड़ी की उनके पास सिर्फ सात घंटे का ही ऑक्सीजन बचा है। यदि कदम नहीं उठाया गया तो 120 अधिक मरीजों की मौत हो जाएगी। ये अच्छा रहा कि समय से पहले ऑक्सीजन पहुंचाया गया। अब आउटलुक को सर गंगा राम अस्पताल से सूचना मिली है कि शुक्रवार की सुबह दस बजे तक का ही उनके पास ऑक्सीजन है।

कोरोना की दूसरी लहर में सबसे अधिक ऑक्सीजन की किल्लत हो चली है और अब हाईकोर्ट को आगे आकर केंद्र को फटकार लगाना पड़ा है। कोर्ट ने तो यहां तक कहा है कि सरकार इसकी आपूर्ति के लिए भीख मांगे या चोरी करे, लेकिन उन्हें इसका प्रबंध करना पड़ेगा। हम हजारों लोगों को मरते हुए नहीं छोड़ सकते हैं। मानवीय जान खतरे में है।

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कोरोना का संक्रमण व्यक्ति के शरीर में सबसे पहले फेफड़े को प्रभावित करता है, जो दूसरी लहर में सबसे अधिक देखने को मिल रहा है। जिसकी वजह से मरीज को ऑक्सीजन की सबसे अधिक जरूरत हो रही है। सामान्यत: पैमाने के मुताबिक एक स्वस्थ्य मनुष्य के शरीर का ऑक्सीजन लेवल 90-95 होता है, जो कि गिरकर 40-50 पहुंच जा रहा है।

इसमें मोदी सरकार बुरी तरह फेल हो गई है। लेकिन, सवाल ये है कि जब कोरोना महामारी पिछले साल आई थी। लॉकडाउन और अन्य पाबंदियों के साथ सरकार को करीब 400 से अधिक दिनों का समय मिला। फिर ये चूक कहा हुई। दरअसल, सरकार ने इस महामारी के बीच भी ऑक्सीजन का दोगुना निर्यात किया है। वित्त वर्ष 2020-21, जो पूरा साल महामारी के दौर से जुझता रहा, केंद्र ने 9,301 मिट्रिक टन का निर्यात दुनिया के बाकी देशों में कर दिया। ये अन्य सालों की तुलना में दोगुना रहा। एएनआई के मुताबिक भारत ने 9,884 मिट्रिक टन इंडस्ट्रियल और 12 मिट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का निर्यात किया। अब सरकार बिगड़ते हालात को देखते हुए 50,000 मिट्रिक के ऑक्सीजन के आयात की बात कही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि देश में 7,000 मिट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रतिदिन उत्पादन होता है। देश में ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाली बड़ी कंपनियों में, आईनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स, लिंडे इंडिया, नेशनल ऑक्सीजन लिमिटेड और गोयल एमजी गैस्स प्राइवेट लिमिटेड है। सबसे बड़ी कंपनी आईनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स है जो प्रतिदिन दो हजार टन का उत्पाद करती है। रिपोर्ट के मुताबिक ऑक्सीजन को ढोने वाले क्रायोजेनिक टैंकर की भी देश में भारी कमी है। 

महाराष्ट्र में इस वक्त सबसे अधिक 1,250 टन ऑक्सीजन की खपत है। सबसे अधिक एक्टिव केस इसी राज्य में है। जरूरतों को पूरा करने के लिए गुजरात और छत्तीसगढ़ से सप्लाई की जा रही है। वहीं, मध्यप्रदेश में एक भी प्लांट नहीं है। जिसकी वजह से यहां यूपी, छत्तीसगढ़ और गुजरात से सप्लाई की जा रही है।

 

 

 

 

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TAGS: Modi Government, Oxygen, Covid Patient, मोदी सरकार, ऑक्सीजन, कोरोना मरीजों को जरूरत
OUTLOOK 22 April, 2021
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