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22 September 2016

भारतीय बहुलवाद कर रहा है एक बड़े खतरे का सामना : रामचंद्र गुहा

गूगल

अपनी नयी किताब डेमोक्रेट्स एंड डिसेंटर्स के विमोचन से पहले गुहा ने कहा,  भारत ने राष्ट्रवाद का एक थोड़ा अलग मॉडल अपनाया था, जिसने इसे संभावित विखंडन से बचाकर रखा। उस विखंडन की भविष्यवाणी तत्कालीन दौर के कई प्रमुख बुद्धिजीवियों ने की थी।

गुहा ने पीटीआई भाषा से कहा, गांधी और अन्य ने राष्ट्रवाद का जो मॉडल चुना था, वह यूरोपीय देशों से काफी अलग था। यह मॉडल भारतीय विविधता को मान्यता देने और उसका पोषण करने पर जोर देता था न कि दूसरों पर एक भाषा और एक धर्म को थोपने पर। इसी बात ने भारत को एकजुट रखा। उन्होंने कहा कि एक सच्चे राष्ट्रवादी में उसकी सरकार द्वारा किए जाने वाले अपराधों को लेकर शर्म का भाव होना चाहिए। उसे किसी एक प्रतीक को पूजते रहने के बजाय या शैक्षणिक संस्थानों पर झंडे फहराने के लिए प्रतिबद्ध रहने के बजाय यह बात स्वीकार करनी चाहिए कि उसका देश त्रुटिहीन नहीं है।

उन्होंने कहा, भारतीय राष्ट्रवाद पाकिस्तानी राष्ट्रवाद की तरह विरोधात्मक नहीं है। भाजपा का राष्ट्रवाद पाकिस्तान के राष्ट्रवाद की एक तस्वीर है। दुनिया को हिंदुत्व की नजर से देखने के लिए पाकिस्तान से घृणा महत्वपूर्ण तत्व है लेकिन एक भारतीय राष्ट्रवादी के लिए यह महत्वपूर्ण नहीं होना चाहिए। भारतीय राष्ट्रवादी वह है, जो संविधान के मूल्यों का सम्मान करता है। एक सच्चे राष्ट्रवादी को अपनी सरकार की विफलताओं का आलोचक होना चाहिए। गुहा ने कहा कि भारतीय बहुलवाद अपने सामने आने वाले सबसे बड़े खतरों में से एक खतरे का सामना कर रहा है। उसे यह खतरा कुछ धार्मिक राष्ट्रवादियों से है, जो एक धर्मनिरपेक्ष भारत को एक हिंदू पाकिस्तान में बदलने पर आमादा हैं।

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उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों में इस्लामी चरमपंथ के उभार ने भारत में प्रतिस्पर्धात्मक हिंदू चरमपंथ को बढ़ावा दिया है। गुहा ने कहा कि भारतीय बहुलवाद नाजुक है क्योंकि भारतीय गणतंत्र कभी भी सांप्रदायिक दक्षिणपंथ से दूर नहीं रहा। गुहा ने कहा कि कश्मीर में जवाहरलाल नेहरू की सबसे बड़ी गलती जनमत संग्रह का वादा नहीं थी बल्कि शेख अब्दुल्ला को एक झूठे आरोप में कैद करना थी। गुहा ने उनके इस कदम को भारतीय लोकतंत्र पर कलंक बताया। गुहा की यह किताब पेंग्विन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित की गई है। इस किताब में 16 निबंध हैं, जो भारत के आधुनिक राजनीतिक इतिहासों में तुलना, पाकिस्तान और चीन,  कश्मीर मुद्दे और श्रीलंका की तमिल समस्या जैसे विभिन्न प्रासंगिक मसलों से जुड़े हैं। आदिवासियों को सबसे कमजोर लोग बताते हुए गुहा ने कहा कि इन लोगों ने आर्थिक रूप से कष्ट झेले हैं और राजनीतिक रूप से अदृश्य रहे हैं।

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TAGS: प्रख्यात इतिहासकार, जीवनीकार, रामचंद्र गुहा, भारतीय बहुलवाद, Eminent historian, biographer, Ramachandra Guha Indian pluralism, facing, greatest threats
OUTLOOK 22 September, 2016
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