निर्भया कांड के बाद पहली बार दो नाबालिगों को हत्या के जुर्म में उम्रकैद
इन दोनों नाबालिगों ने पिछले साल पांच दिसंबर को पैसे को लेकर हुए एक मामूली विवाद पर अपने साथ पढ़ने वाले एक स्कूली छात्र की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी थी।
सत्र जज एए खान ने दोनों नाबालिगों को निर्भया कांड के बाद किशोर न्याय अधिनियम में किए गए संशोधन के आधार पर सजा सुनाई। झाबुआ के पुलिस अधीक्षक महेश चंद्र जैन ने बताया, संभवत: यह देश में पहला मामला है, जब किशोर न्याय अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद नाबालिग अपराधियों को वयस्क मानकर हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई गई है।
उन्होंने कहा कि पांच दिसंबर 2016 को इन दोनों आरोपियों ने पैसों के विवाद में अपने 9 वीं कक्षा के साथी राधुसिंह पालिया :16: की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी थी।
जैन ने बताया कि इन दोनों दोषियों में से एक की उम्र 16 वर्ष है, जबकि दूसरे की 17 वर्ष। ये दोनों दोषी नशे के आदी थे, लेकिन उनकी खून की जांच में खुलासा हुआ था कि हत्या के वक्त वे नशे में नहीं थे। उन्होंने बताया की संभवत: देश का यह पहला मामला है जब हत्या के किसी मामले में अदालत ने मात्रा तीन माह में इस तरह का निर्णय दिया है।
जैन ने बताया की निर्भया कांड के बाद किशोर न्याय अधिनियम में किए गए संशोधन के तहत सात वर्ष से अधिक सजा के जघन्य मामले में 16 साल से अधिक उम्र के आरोपियों को वयस्क माना जाता है। अदालत ने दोनों नाबालिगों को संशोधित अधिनियम के तहत वयस्क माना है।
अदालत ने भादंवि की धारा 302 के तहत दोनों आरोपियों को 10-10 हजार रुपये जुर्माने तथा शस्त्र अधिनियम की धारा 25 बी के तहत 3-3 वर्ष सश्रम कारावास और 5-5 हजार रुपये के जुर्माने की सजा भी सुनाई है।
मृतक छात्र के पिता नाना पालिया ने अदालत के फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा, मुझे इतनी जल्दी न्याय मिलने की उम्मीद नहीं थी। मैं निर्णय से इससे संतुष्ट हूं। भाषा