नोटबंदी की सलाह देने वाले बोकिल बोले, मोदी ने बेहोशी की दवा बिना ऑपरेशन कर दिया
मुंबई मिरर अखबार से बातचीत के दौरान बोकिल ने कहा कि अगर उनके सभी सुझाव एक साथ मान लिये जाते, तो इससे आम आदमी को तो फायदा होता ही, पूरी व्यवस्था में भी बड़ा बदलाव आता। हालांकि वह अब भी निराश नहीं हैं। वह कहते हैं, 'सब कुछ खत्म हो गया, हम ऐसा नहीं मान रहे। हम सब देख रहे हैं लेकिन, सरकार ने बेहोशी की दवा दिये बिना ऑपरेशन कर दिया। इसलिए मरीजों को जान गंवानी पड़ी।
गौर हो कि आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब अचानक रात आठ बजे नोटबंदी का एलान किया तो नोटबंदी शब्द और नरेंद्र मोदी के साथ एक और शख्स राष्ट्रीय मीडिया में चर्चा में आ गया। अनिल बोकिल वहीं शख्स हैं।
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि पुणे के अनिल बोकिल ही वह शख्स थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बड़े नोटों को प्रतिबंधित करने का सुझाव दिया था। अनिल बोकिल थिंक टैंक अर्थक्रांति प्रतिष्ठान का संचालन करते हैं।
जुलाई महीने में बोकिल को पीएम मोदी से अपनी बात कहने के लिए 9 मिनट का समय मिला था। लेकिन जब उन्होंने अपनी बात कहनी शुरू की तो अनिल 500 और 1000 के नोटों के पीछे छिपे काले सच को उजागर किया और कैसे उनको हटाना इसका प्लान भी समझाया और पीएम मोदी ने उनकी सलाह मान ली और ये 9 मिनट की मुलाकात दो घंटों तक खिंच गई। इस बातचीत का असर नोटबंदी के रुप में सामने आया। बोकिल ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने उनके सुझाव को पूरा न मानने के बजाय अपनी पसंद को ही सर्वोपरि रखा।
बोकिल ने बताया कि उन्होंने पीएम के सामने एक व्यापक प्रस्ताव रखा था इसके पांच आयाम थे। केंद्र ने इनमें सिर्फ दो को ही माना। यह अचानक में उठाया गया कदम था, ना कि बहुत ज्यादा सोचा-समझा। बोकिल ने कहा कि इस फैसले का का ना तो स्वागत ही किया जा सकता है और ना ही इसे पूरी तरह से खारिज किया जा सकता है। हम इसे फैसले को स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं। हमने मोदी सरकार को नोटबंदी को लेकर जो रोडमैप दिए थे, उससे ऐसी परेशानियां नहीं थी।
बोकिल ने कहा कि उन्होंने कहा था कि केंद्र या राज्य सरकारों के साथ-साथ स्थानीय निकायों द्वारा वसूले जाने वाले सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों का पूर्ण खात्मा किया जाए।इन्हें टैक्सेज बैंक ट्रांजेक्शन टैक्स (बीटीटी) में तब्दील किया जाना था। इसके अंतर्गत बैंक के अंदर सभी प्रकार के लेनदेन पर कैश ट्रांजेक्शन पर कोई टैक्स नहीं लिया जाये। सभी तरह की ऊंचे मूल्य की करंसी (50 रुपये से ज्यादा की मुद्रा) वापस ली जाए। सरकार निकासी की सीमा 2,000 रुपये तक किये जाने के लिए कानूनी प्रावधान करे।