तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला गर्मी की छुट्टियों के बाद
मुस्लिम वर्गों के लिए यह काफी अहम फैसला है। शीर्ष अदालत ने एक साथ एक बार में ही तीन तलाक बोलने की परंपरा की संवैधानिक जांच की। कोर्ट ने जानने की कोशिश की कहीं इससे महिलाओं के अधिकारों का हनन तो नहीं हो रहा। इसके अलावा यह भी देखा कि ये व्यवस्था इस्लाम धर्म के अंतर्गत है भी की नहीं।
2015 में सुप्रीम कोर्ट के 2 जजों की पीठ ने खुद संज्ञान लिया था। बाद में 5 जजों की संविधान पीठ को यह मामला सौंपा गया। इस मामले में एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी, कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, राजू रामचंद्रन, इंदिरा जयसिंह और राम जेठमलानी जैसे वरिष्ठ वकीलों के साथ ही कई और वकीलों ने अपना पक्ष रखा।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से पेश कपिल सिब्बल ने कहा कि 3 तलाक की व्यवस्था 1400 साल पुरानी है। उन्होंने इसे राम के जन्म की आस्था से जोड़ दिया।
सिब्बल ने कहा कि इसमें कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए। सुनवाई के अंतिम दिन पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि मुस्लिम समाज 3 तलाक को गलत मानता है। लिहाजा बोर्ड ने ये निर्धारित किया कि वो समूचे देश के काजियों को इसके खिलाफ दिशा निर्देश जारी करेगा।